इस धातु के बर्तन में खाना खाने से शरीर को होते हैं बेहद कमाल के फायदे, जानें
यूपी का मुरादाबाद पूरी दुनिया में पीतल नगरी के नाम से जाना जाता है। यहां के पीतल के उत्पादन देश-विदेश में एक्सपोर्ट किए जाते हैं। तो वही पीतल के उत्पादों में पीतल के खाने पीने के बर्तन, थाली, कटोरी चम्मच सहित आदि चीज भी जिले में तैयार की जाती है। लेकिन इन पीतल के बर्तनों में खाना खाने के कई लाभ हैं। इतना ही नहीं विवाह शादी में दहेज में भी पीतल के बर्तन देने का रिवाज चलता आ रहा है।
पुराने समय से पीतल के बर्तनों में खाना पकाने का चलन रहा है। पहले के समय में लोग पीतल के भारी बर्तनों में खाना पकाते और खाते थे। जिसका सीधा संबंध उनकी स्वास्थ्य से जुड़ा होता था। ऐसे बर्तनों में बना हुआ खाना कई पोषक तत्वों से युक्त होता है। जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में सहायता करता है। पीतल के बर्तनों में पके हुए खाने में अधिक मात्रा में जिंक उपस्थित होता है। शरीर में ब्लड काउंट को बढ़ाने में सहायता करता है। इसके अतिरिक्त इन बर्तनों में बना खाना ब्लड को प्यूरीफाई करने में भी सहायता करता है।
श्वसन तंत्र को मजबूत बनाए
जब आप पीतल के बर्तनों में बना हुआ खाना खाते हैं। तब ये आपके श्वसन तंत्र को भी सुचारु रखने में सहायता करता है। इस तरह के भोजन से सांस की रोंगों में भी थोड़ी राहत मिलती है और ये भोजन शरीर के लिए लाभदायक होता है।
त्वचा के लिए लाभदायक
जिला हॉस्पिटल में कार्यरत डॉ हेमंत चौधरी ने कहा कि पीतल के बर्तनों में खाना पकाने और खाने से इनसे निकलने वाले मिलेनियम तत्व त्वचा को ग्लोइंग बनाने में सहायता करते हैं। इससे त्वचा की खूबसूरत बढ़ाने में सहायता मिलती है। लेकिन आपको हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि अच्छी क्वालिटी के पीतल के बर्तनों में ही खाना पकाएं और खाएं जिससे इसके कोई साइड इफ़ेक्ट न हों।
पहले के मुकाबले बढ़ा अब चलन
पीतल व्यवसायी नितिन खन्ना ने कहा कि पीतल के बर्तन पुराने जमाने में चला करते थे। लेकिन अब दौर चेंज हुआ तो भिन्न-भिन्न तरह का सामान बाजार में आने लगा जिसको देखते हुए लोगों ने पीतल के बर्तनों का प्रयोग करना कम कर दिया था। लेकिन कोबिड के बाद से पीतल के बर्तनों का कलर बढ़ गया है। लोग पीतल के बर्तनों में खाना खाना पसंद कर रहे हैं। और लोगों को पीतल के कुकर कढाई सहित आदि चीज पसंद आ रही है। जिनकी डिमांड अच्छी खासी सामने आ रही है। बढ़-चढ़कर लोग इन्हें खरीद रहे हैं।