लाइफ स्टाइल

इस मंदिर में श्रद्धालु भगवान शिव के लिंग की पूजा कर अपनी हर मनोकामनाएं करे पूरी

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क यूपी के भदोही जिले में ईश्वर शिव शंकर भोलेदानी का एक अनोखा मंदिर, जहां जल में विसर्जन के कारण बादलों से बरसना पड़ता था शिवलिंग बारिश के लिए शिव भक्तों द्वारा अपनाया गया यह तरीका ईश्वरीय शक्ति को नकारने वालों के लिए खुली चुनौती साबित हुआ सांगोनाथ भदोही जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर काशी-प्रयाग के बीच बसुही नदी के तट पर स्थित एक सदियों पुराना शिव मंदिर है जहां वर्ष भर दूर-दूर से श्रद्धालु ईश्वर शिव के लिंग की पूजा कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने आते हैं

रामायण जैसे ग्रंथों में सूखे जैसी आपदाओं से बचने के लिए राजा जनक के राज्य में स्त्रियों द्वारा हल जोतने की परंपरा का उल्लेख है कलियुग में भी बरसात के मौसम में स्त्रियों द्वारा हल जोतने की परंपरा अक्सर मीडिया की सुर्खियों में सुनने को मिलती है वैज्ञानिक जगत भले ही ऐसी परंपराओं को अंधविश्वास और कोरी बकवास कहकर खारिज कर दे, लेकिन कुछ मंदिरों के करिश्मा ईश्वरीय शक्ति में विश्वास करने वालों के लिए रामबाण साबित हुए हैं बसुही नदी के तट पर सदियों पुराना ऐतिहासिक शिव मंदिर इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है

अक्सर देखा जाता है कि जब भी सूखे के कारण सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न होती है तो किसी भक्त द्वारा सांगोनाथ में पानी में शिवलिंग विसर्जित करने से बारिश हो जाती है क्षेत्रीय बुजुर्गों का बोलना है कि शिवभक्त भागवत ने बारिश के लिए यह अनोखा तरीका कई बार आजमाया ऐसा बोला जाता है कि जब भी इस भक्त को बारिश की जरूरत होती थी, तो वह संगोनाथ मंदिर के जल निकासी द्वार को बंद कर देता था और पूरे गर्भगृह को पानी से भर देता था और शिवलिंग को विसर्जित कर देता था तभी भारी बारिश हुई

ग्रामीणों ने कहा कि 1981 में विशाल सूखा पड़ा था उस समय क्षेत्रीय लोगों के निवेदन पर भागवत ने शिवलिंग में नदी का जल भरकर उसे विसर्जित कर दिया बोला जाता है कि उस समय इतनी भारी बारिश हुई कि नदियाँ उफान पर आ गईं कई गांव बाढ़ के पानी में डूब गए और डूबने लगे बारिश के पानी ने चारों तरफ भयानक तबाही का मंजर पैदा कर दिया हालाँकि, जब बाढ़ से बचने के लिए नदी के पानी में डूबा हुआ शिवलिंग सूख गया, तो इंद्रदेव पूरी तरह से शांत हो गए

कहा जाता है कि भागवत ने बारिश का यह अनोखा प्रयोग एक बार नहीं बल्कि कई बार किया क्षेत्रीय बुजुर्ग इस अनूठे प्रयोग की चर्चा करते हुए ही पूरी कहानी विस्तार से सुनते हैं हालाँकि, लगभग 90 वर्षीय भागवत का लगभग दो दशक पहले मृत्यु हो गया और तब से बारिश के लिए प्रार्थना करने की यह अनूठी परंपरा भी हमेशा के लिए खत्म हो गई

Related Articles

Back to top button