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Chaitra Navratri 4th Day: आज करें माता कूष्मांडा की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त- पूजा विधि

Chaitra Navratri 4th Day: आज नवरात्रि के चौथे दिन शुक्रवार तारीख 12 अप्रैल है. आज मां कूष्मांडा की पूजा की जाएगी. शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती हैं. माता कूष्मांडा का स्वरूप बड़ा अद्भुत और विलक्षण है. इनकी आठ भुजाएं हैं, जिनमें इन्होंने कमण्डल, धनुष–बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र और गदा धारण करती है. इन अष्टभुजा माता के आठवें हाथ में सिद्धियों और निधियों की जप माला है. इनकी सवारी सिंह है.

माता कुष्मांडा की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्र की चतुर्थी तिथि 11 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 04 मिनट पर प्रारम्भ होगी और अगले दिन यानी 12 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 11 मिनट पर खत्म होगी, इसके बाद पंचमी तिथि प्रारम्भ होगी. साधक दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक मां कूष्मांडा की पूजा एवं साधना कर सकते हैं.

मां को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है
शास्त्रों में माता कुष्मांडा को स्रुष्टि का निर्माण करने वाली देवी बोला गया हैं, जब धरती पर किसी भी वस्तु का अस्तित्व नहीं था तब कूष्मांडा देवी ने अपनी हंसी से इस सृष्टि का निर्माण किया था. कुष्मांडा कुम्हड़े को भी कहते हैं. देवी को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है. इसीलिए बोला गया है कि नवरात्रि में जो भी श्रद्धालु माता को कुम्हड़े की बलि चढ़ाता है, उनके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते है और उनका बिगाड़ा काम भी बनने लगता है.

माता कूष्मांडा की ध्यान मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्. सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

इस मंत्र के स्मरण से मां कुष्मांडा होती है प्रसन्न
धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्रद्धालु इस मंत्र से माता का स्मरण करता है, उनके जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आती है. ये मंत्र इस प्रकार है- ‘सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु..

पीड़ा, दुख और कष्टों से मुक्ति दिलाता है मां कुष्मांडा
मां कूष्मांडा का तेज इन्हें सूर्यलोक में निवास करने की क्षमता देता है. इतना तेज और किसी में भी नहीं है. ये अतुलनीय हैं. समस्त दिशाएं एवं ब्रह्मांड इनके प्रभामण्डल से प्रभावित हैं. इनकी आराधना से हर प्रकार की पीड़ा, दुख और कष्टों से मुक्ति पा सकता है. रात-दिन इनकी उपासना से आदमी स्वयं ही इनकी आभा को अनुभव कर सकता है. वह हमें सुख-समृद्धि और यश दिलाता है. माता अपने भक्त की आराधना से शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं. इसीलिए नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा का पूजा करना बहुत जरूरी माना जाता है.

माता के पूजन से धरती से परलोक तक मिलता सुख
देवी पुराण के अनुसार, इस दिन 4 कुमारी कन्याओं को भोजन कराना चाहिए. इस दिन स्त्रियां हरे रंग के कपड़े पहनती हैं. हरा रंग प्रकृति का माना गया है. ब्रह्म ववर्तव पुराण प्रकृति खंड अध्याय एक के अनुसार, भगवती प्रकृति भक्तों के निवेदन से अथवा उनपर कृपा करने के लिए विविध रूप धारण करती हैं.

मां कूष्मांडा की आरती (Maa Kushmanda Aarti)
कूष्मांडा जय जग सुखदानी. मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली. शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे . भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा. स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे. सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा. पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी. क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे रेट पर किया है डेरा. दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो. मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए. भक्त तेरे रेट शीश झुकाए॥

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