हनुमान जी का ध्यान व पूजा-उपासना करने से उनकी कृपा की जा सकती है प्राप्त, जानें पूजा का विधान
कुंडली में मंगल गुनाह हो या कार्य सिद्धि के लिए रामभक्त श्री हनुमान जी की कृपा पाने के लिए बहुत से लोक मंगलवार का व्रत रखते हैं। कोई 7 , कोई 11 और 21 मंगलवार का व्रत रखता है। माना जाता है कि मुश्किल से मुश्किल परेशानी भी हनुमान जी की कृपा से दूर हो जाती है। लेकिन बहुत से लोगों के मन में प्रश्न होगा कि हनुमान की प्रसन्न करने के लिए मंलवार का व्रत किसे करना चाहिए? कई संत और कथा वाचकों का मानना है कि प्राण प्रतिष्ठा की गई हनुमान जी की मूर्ति को स्त्रियों का नहीं छूना चाहिए। ऐसे में प्रश्न होता है कि क्या महिलाएं मंगलवार का व्रत कर सकती हैं? तो अपको बता दें कि मंगलवार का व्रत कोई भी स्त्री या पुरुष कर सकता है। लेकिन मंगलवार का व्रत प्रारम्भ करने से अपने संपर्क के किसी पंडित या हनुमान जी की पूजा विधान जानने वाले से राय जरूर ले लें।
लेकिन इस व्रत में नियम-संयम और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। जो इन नियमों का पालन अंत तक कर सकता है उसी को मंगलवार का व्रत करना चाहिए। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक मंगलवार के व्रत से न केवल जातक का मंगल गुनाह दूर होता है। शनि के असर से पीडित आदमी को भी हनुमान जी की पूजा से राहत मिलती है। श्री हनुमान जी की कृपा से बिगड़े कार्य भी बनने लगते हैं। बोला जाता है कि हनुमान जी को अमर रहने का वरदान प्राप्त है और वे आज कलयुग में भी पृथ्वी पर निवास करते हैं। पूरे विश्वास के साथ हनुमान जी का ध्यान करने और पूजा-उपासना करने से उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है।
मंगवार व्रत की विधि:
मंगलवार को व्रत के लिए प्रात:काल उठकर स्नान करें और लाल रंग का कोई नया या धुला हुआ कपड़ा पहनें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और जलाभिषेक के साथ ही व्रत की तैयारी करें। अपने निकट के हनुमान मंदिर में स्थापित मूर्ति को चमेली के ऑयल और केसरिया सिंदूर से चोला चढ़ाएं। संभव हो तो प्रसाद भी बांटें। इसके बाद घर के पूजा घर में या ईशान कोण में हनुमान जी की प्रतिमा रखें और गाय के घी का दीपक जलाएं। फल-फूल अर्पित करें और उनकी स्तुति आदि करें। इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ और सुंदर काण्ड का पाठ करें। व्रत में फलाहार कर सकते हैं। व्रत वाले पूरे दिन श्री सीताराम नाम का स्मरण करें। शाम को एक बार फिर हनुमान जी की आरती करें और भोग लगाएं। शाम को व्रत के पारण के बाद तक व्रत के दिन नमक का सेवन करें।