औषधीय गुणों का खजाना है काली हल्दी अस्थमा सहित इन बीमारियों में है फायदेमंद
काली हल्दी का पौधा कृषिकरण में जरूरी किरदार अदा कर सकता है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि, कैंसर रोधी जैसे गुण होने के कारण आज बाजार में काली हल्दी की मांग पहेल से बढ़ गई है। किसानों के दोहरे आय का श्रोत बन सकता है काली हल्दी की खेती। दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त है, नार्थ ईस्ट में किसान इसे बड़े पैमाने पर लगा रहे हैं। काली हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Curcuma caesia है। इसके जड़ों से तैयार पेस्ट को घावों और सांप और बिच्छू के काटने पर भी लगाया जाता है।
राज्य गवर्नमेंट भी किसानों को परंपरागत खेती के साथ ही औषधीय फसलों की खेती को बढ़ावा देने में सहायता कर रही है। इसके लिए किसानों को सब्सिडी का फायदा भी प्रदान किया जाता है। औषधीय फसलों की खेती पर गवर्नमेंट की ओर से 50 फीसदी तक आर्थिक सहायता दिया जाता है। ऐसे में औषधीय फसलों की खेती करके किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।
औषधीय फसलों में एक है काली हल्दी
इन औषधीय फसलों में एक काली हल्दी भी है। इसकी खेती करके किसान काफी अच्छा फायदा कमा सकते हैं। इसकी बाजार में काफी मांग बनी रहती है। इसी को ध्यान में रखकर किसान इस खरीफ सीजन में काली हल्दी की सरल उपायों से खेती कर अच्छा उत्पादन और फायदा दोनों ले सकते हैं।
केंद्रों में मौजूद काली हल्दी का पौधा
हल्द्वानी वन अनुसंधान के वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह बिष्ट ने कहा कि हमने यह काली हल्दी का पौधे लालकुआं और हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में हैं और किसान यदि इस पौधे की खेती करेंगे तो वह किसान दोहरा फायदा भी पा सकते हैं। साथ ही काली हल्दी की मांग भी बाजारों में अब बढ़ने लगी है। काली हल्दी इस्तेमाल आयुर्वेद की कई दवाइयां बनाने में भी किया जाता है। आगे उन्होनें कहा कि कई बीमारियां जैसे- निमोनिया, खांसी, बुखार, अस्थमा कैंसर जैसी रोंगों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं को बनाने में काली मामूली का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अतिरिक्त कई कॉस्मेटिक्स प्रॉडक्ट में भी इसका इस्तेमाल होता है।
काली हल्दी का उपयोग
काली हल्दी अपने चमत्कारिक गुणों के कारण राष्ट्र विदेश में काफी प्रसिद्ध है। काली हल्दी का इस्तेमाल मुख्यत: सौंदर्य प्रसाधन और बीमारी नाशक दोनों ही रूपों में किया जाता है। काली हल्दी मजबूत एंटीबायोटिक गुणों के साथ चिकित्सा में जड़ी-बूटी के रूप में प्रयोग की जाती है। काली हल्दी का प्रयोग घाव, मोच, त्वचा रोग, पाचन तथा लीवर की समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता करती है।
महंगी बिकती है काली हल्दी
काली हल्दी 500 से लेकर 5000 रुपये तक बिकती है। ई-कॉमर्स वेबसाइट पर इसकी मूल्य 5000 रुपये तक है। ऐसे में काली हल्दी की खेती करने वाले किसानों के लिए इसकी खेती काफी अधिक मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है। इस हल्दी में बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं। इस वजह से भी बाजार में इसकी मूल्य अधिक है।