खूबसूरती किसी मेकअप की मोहताज़ नहीं, ये एक जज़्बा है इस एहसास को महसूस करना सीखिए
ख़ूबसूरती के अर्थ और चाहे जो भी हों, लेकिन वो तो कदापि नहीं हैं जो आजकल की ख़वातीन समझती हैं कि – मेक अप के ओवरलोड से वो खूबसूरत बन सकती हैं। मस्कारा , ब्लशर , लिपस्टिक , आईलाइनर , फॉउंडेशन और स्क्रबर को मिलाकर यदि किसी को खूबसूरत बनाया जा सकता होता तो ब्यूटी पार्लर जाने वाली हर ख़ातून मिस इण्डिया बन कर बाहर निकलती , लेकिन अफ़सोस ऐसा नहीं है। महिलाओं के दिमाग़ में लगा ये एक ऐसा जाला है जो फैशन और कॉस्मेटिक्स इंडस्ट्री , टीवी सीरियल्स और टीवी कमर्शियल्स ने बुना है और जिनको इससे अपना बिज़नेस चलाना है।
आप सोचिये कि पुराने वक़्तों में जब ये कास्मेटिक इंडस्ट्री नहीं थी , तब क्या खूबसूरती नहीं थी ? मधुबाला कौन से कॉस्मेटिक्स इस्तेमाल करती थीं , जबकि वो फिल्म इंडस्ट्री की आजतक की सबसे खूबसूरत अदाकारा समझी जाती हैं। ट्रॉय की हेलेन , फ़्रांस की मैरी अंटोनिओ , रोम की कोर्नेलिया , मिस्र की क्लिओपेट्रा, या अपनी मलिका मुमताज़ या हॉलीवुड की मेरेलिन मुनरो , इनके लिए उस ज़माने में कॉस्मेटिक्स मौजूद ही नहीं था , तो भीा ये अपने ज़माने में सबसे खूबसूरत महिलाएं समझी जाती थीं । वैसे भी ख़ूबसूरती ऐसी चीज़ है जो किसी स्टेटस , रुतबे , पैसे की मोहताज नहीं होती।
हक़ीक़त ये है कि कॉस्मेटिक्स की इस सनक को बढ़ावा देने में समाज की उन पैसे वाली निठल्ली महिलाओं का भी सहयोग है जिनके पास करने के नाम पर किटी पार्टीज़ के अतिरिक्त कुछ नहीं है और जिन्हें ब्यूटी पार्लर जाकर दस बीस हज़ार रुपये और चार पांच घण्टे सर्फ़ करने के लिए वक़्त ही वक़्त है। ये फ़्लो ऊपर से नीचे की तरफ़ बहता है और उन स्त्रियों को भी लपेटे में ले लेता है जिनकी इतनी हैसियत नहीं है।
आप किसी भी सोशल गैदरिंग में देखिये , हर महिला आपको प्लास्टिक की सजी धजी गुड़िया लगेगी। हर उम्र और हर स्टेटस की खातून मानो मेक अप का कोई अवार्ड जीतने आई हो। लगता है इन ख़वातीन में कोई प्रतियोगिता चल रही है कि कौन सबसे ज़्यादा महंगा मगर बेहूदा और फूहड़ मेक-अप कर सकती है। मेक अप का भूत हर खातून पर इस क़दर हावी है कि इन ख़वातीन को न तो अपनी उम्र का लिहाज़ है न अपने स्टेटस का। कई बार किसी फंक्शन में मेक अप से ओवरलोडेड किसी खातून को पकड़कर ये पूछने का बहुत दिल करता है कि उनका अपने बारे में क्या ख्याल है। उनसे किस ने बोला कि इस मेक अप में वो खूबसूरत लग रही हैं। या ये कि जिसने भी तुम्हारा ये मेक अप किया है उसने उन्हें बेवक़ूफ़ बनाया है। मगर ज़ाहिर है ये अदब के विरुद्ध बात होगी ।
बहरहाल , मेरा अपना ज़ाती खयाल ये है कि दुनिया की हर महिला अपने आप में खूबसूरत ही है और उसे किसी मेक अप की ज़रूरत ही नहीं है। बस उसे अपने आप को पहचानने की ज़रूरत है। उस खूबसूरती को पहचानने की ज़रूरत है जो उसे बग़ैर किसी भेदभाव के क़ुदरत की तरफ़ से मिली है। ख़ुदा ने उसमे जो जन्मजात खूबियां रख कर भेजी हैं उन की क़द्र किये जाने की ज़रूरत है। ख़लील जिब्रान ने बोला है कि खूबसूरती वो होती है जो आपके अंदर दिखाई देती है। यदि किसी महिला में आत्मविश्वास है , पैशन है , आत्मसम्मान है और एक खुद्दारी है तो वह उसके चेहरे पर भी दिखाई देगी जो उसे और ज़्यादा खूबसूरत बनाएगी।
यानि यदि आप अंदर से खूबसूरत हैं तो वो खूबसूरती आपके बाहर भी दिखाई देगी। चेहरे पर महंगे कॉस्मेटिक्स की लेयर पोत लेने भर से आप खूबसूरत लगने लगेंगी ये केवल एक वहम है और वहम का कोई उपचार नहीं होता। हॉलीवुड की प्रसिद्ध और खूबसूरत अदाकारा सोफ़िया लॉरेन का बोलना था कि किसी महिला को कोई और चीज़ इतना खूबसूरत नहीं बना सकती जितना ये विश्वास कि वह खूबसूरत है। यानि दूसरे शब्दों में कहें तो ये विश्वास कि खुदा ने उसे खूबसूरत बना कर ही ज़मीन पर भेजा है किसी महिला को खूबसूरत बना देता है। स्वयं को पहले अंदर से खूबसूरत बनाइये, बाहर से आप स्वयं ब स्वयं खूबसूरत लगने लगेंगी
खूबसूरती एक एहसास है। खूबसूरती एक जज़्बा है। इस एहसास को महसूस करना सीखिए। यदि आपने इसे महसूस करना सीख लिया तो यक़ीन जानिए आप स्वयं ब स्वयं अपने आपको खूबसूरत महसूस करेंगी। फिर आप खूबसूरत लगने के लिए किसी की तारीफ़ की मोहताज नहीं होंगी। कोई कहे न कहे कि आप खूबसूरत लग रही हैं , कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता क्योंकि आप को मालूम होता है कि आप खूबसूरत हैं । आपको न फिर किसी फेस पैक की ज़रूरत है न मस्कारा की और न आईलाइनर की। हर महिला अपने आप में खूबसूरत है, बस इसे समझने की ज़रूरत है। उस विश्वास को पैदा करने की ज़रूरत है जो फैशन की इस अंधी दौड़ में कहीं खो गया है।