लाइफ स्टाइल

राजसी सुख देता है अनंत चतुर्दशी का व्रत

भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि को यह व्रत किया जाता है कहते हैं अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और राजयोग जैसा सुख आपके जीवन में आता है इस वर्ष अनंत चतुर्दशी व्रत 28 सितंबर 2023 को रखा जाएगा चतुर्दशी तिथि 27 सितंबर को रात 10.18 बजे प्रारम्भ होगी और 28 सितंबर 2023, शाम 06.49 बजे खत्म होगी इस दिन गणेश विसर्जन भी होता है यदि अनंत चतुर्दशी व्रत रख रहे हैं तो कथा का मुहूर्त  सुबह 06.12 – शाम 06.49 तक है, अगरगणेश विसर्जन कर रहे हैं तो मुहूर्त सुबह 10.42 – दोपहर 3.10 बजे तक है इस दिन सुबह सवेरे उठकर नहाकर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए इसके बाद सबसे पहले अपने व्रत का संकल्प लें संकल्प के लिए दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गंध एवं कुश जरूर लेना चाहिए अनंत सूत्र कच्चे सूत के धागे को 14 गांठ लगाकर बनाया जाता है इसके बाद इसे हल्दी से रंगकर अक्षत, धूप-दीप, नैवेद्य, पुष्प आदि से पूजा जाता है

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा
बहुत समय पहले एक तपस्वी ब्राह्मण था जिसका नाम सुमंत, वह अपनी पत्नी जिसका नाम दीक्षा था, उसके साथ रहता था उनकी सुशीला नाम की एक सुंदर और धर्मपरायण कन्या थी जब सुशीला कुछ बड़ी हुई तो उसकी मां दीक्षा का मृत्यु हो गया तब उनके पिता सुमंत ने दूसरा शादी करने की सोची और कर्कशा नाम की महिला से शादी कर लिया इसके बाद जब सुमंत ने अपनी पुत्री का शादी करने की ठानी और ऋषि कौंडिण्य के साथ सुशीला का शादी कर दिया कर्कशा ने विदाई में अपने जमाई को साथ में ईंट और पत्थर के टुकड़े बांध दिए ऋषि कौडिण्य को ये व्यवहार बहुत बुरा लगा, वे दुखी मन के साथ अपनी सुशीला को विदा कराकर अपने साथ लेकर चल दिए, चलते-चलते रात्रि का समय हो गया

तब सुशीला ने रास्ते में अनंत चतुर्दशी का व्रत देखा सुशीला ने देखा कि संध्या के समय नदी के तट पर सुंदर वस्त्र धारण करके स्त्रियां किसी देवता का पूजन कर रही हैं सुशीला ने उत्सुकतावश उनसे पूछा तो उन्होंने अनंत व्रत की महत्ता सुनाई, तब सुशीला ने भी यह व्रत किया और पूजा करके चौदह गांठों वाला डोरा हाथ में बांध कर ऋषि कौंडिण्य के पास आकर सारी बात बताई ऋषि ने उस धागे को तोड़ कर अग्नि में डाल दिया इससे ईश्वर अनंत का अपमान हुआ परिणामस्वरुप ऋषि कौंडिण्य दुखी रहने लगे उनकी सारी सम्पत्ति नष्ट हो गई और वे दरिद्र हो गए

एक दिन उन्होंने अपनी पत्नी से कारण पूछा तो सुशीला ने दुख का कारण बताते हुए बोला कि आपने अनंत ईश्वर का डोरा जलाया है इसके बाद ऋषि कौंडिण्य को बहुत पश्चाताप हुआ, वे अनंत डोरे को प्राप्त करने के लिए वन चले गए वन में कई दिनों तक ऐसे ही भटकने के बाद वे एक दिन भूमि पर गिर पड़े तब ईश्वर अनंत ने उन्हें दर्शन दिए और बोला कि तुमने मेरा अपमान किया, जिसके कारण तुम्हें इतना कष्ट उठाना पड़ा, लेकिन अब तुमने पश्चाताप कर लिया है, मैं प्रसन्न हूं तुम घर जाकर अनंत व्रत को विधि पूर्वक करो चौदह सालों तक व्रत करने से तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जांएगे, और तुम दोबारा संपन्न हो जाओगे ऋषि कौंडिण्य ने विधि पूर्वक व्रत किया और उन्हें सारें कष्टों से मुक्ति प्राप्त हुई

Related Articles

Back to top button