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Akshaya Tritiya: अक्षय तृतीया के दिन क्यों खरीदा जाता है सोना-चांदी…

Akshaya Tritiya: आज के तीसरे दिन हिंदुस्तान में पूरे धूम-धाम से अक्षय तृतीया का व्रत मनाया जाएगा इस दिन महिलाएं शृंगार करके पूजा करती हैं इस व्रत को लेकर कई प्रकार की मान्यताएं और प्रथा है इन्हीं में एक मान्यता और प्रथा सोना-चांदी, हीरा-मोती या धातु की कोई भी वस्तु खरीदने का प्रचलन है हम सभी के मन में प्रश्न पैदा होता है कि आखिर, अक्षय तृतीया के दिन सोना-चांदी या फिर धातु की कोई वस्तु क्यों खरीदी जाती है? इसके पीछे कारण क्या है? इसे सबसे अधिक पसंद कौन करता है और यह किस देवी-देवता का प्रतीक है? आइए, इन प्रश्नों का उत्तर जानने की प्रयास करते हैं

माता लक्ष्मी को समर्पित है अक्षय तृतीया

पंडित विष्णु वल्लभनाथ मिश्र के अनुसार, हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया का व्रत माता लक्ष्मी को समर्पित है यही कारण है कि इस व्रत में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है इस व्रत की पूजा में माता लक्ष्मी से प्रार्थना की जाती है कि उनका आशीर्वाद घर-परिवार पर हमेशा बना रहे माता लक्ष्मी की आराधना में महिलाएं अनुरोध करती हैं कि उनकी कृपा से धन-धान्य की प्राप्ति हो और उसका कभी क्षय न हो घर में सुख-शांति बनी रही और हमेशा घर में माता लक्ष्मी का वास हो इसके अलावा, अक्षय तृतीया के दिन अन्य मांगलिक कार्य जैसे शादी-ब्याह, मुंडन, गृहप्रवेश, गाड़ी खरीद, सोना-चांदी और धातु की वस्तु की खरीद की जाती है

अक्षय तृतीया के दिन क्यों खरीदते हैं सोना

पंडित विष्णु वल्लभनाथ मिश्र आगे कहते हैं कि चूंकि, अक्षय तृतीया माता लक्ष्मी को समर्पित है, तो इस दिन सोना-चांदी या धातु की वस्तु खरीदने का विधान है सोना-चांदी और धातु के वस्तु, गहने-जेवर, गाड़ी और घर-मकान माता लक्ष्मी की प्रिय वस्तु हैं इसीलिए इस दिन सोना-चांदी की खरीद करना शुभ माना जाता है उनका बोलना है कि धातुओं में सोना और चांदी की खरीद करने का अपना भिन्न-भिन्न महत्व है इसलिए इस दिन इन दोनों धातुओं की खरीद की जाती है सोना-चांदी खरीदने से घर में निधि (धन-संपत्ति और रुपया-पैसा) का भंडार अक्षय बना रहता है

माता लक्ष्मी का स्वरूप है सोना

उन्होंने बोला कि सोना माता लक्ष्मी को न सिर्फ़ समर्पित है, बल्कि उसे माता लक्ष्मी का स्वरूप भी माना जाता है इसके पीछे की पौराणिक कथा यह है कि जब सुर-असुर संग्राम के बाद समुद्र मंथन किया गया था, तो उस समय अमृत के साथ-साथ सोना भी समुद्र से निकला था, जिसे ईश्वर विष्णु ने धारण कर लिया था इसीलिए सोना को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है यही वजह है कि दिवाली से पहले धनतेरस और अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने की परंपरा है

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