सर्वे में खुलासा! माता-पिता की लापरवाही, बच्चों की बेहतर परवरिश नहीं…
54 फीसदी दंपति बच्चों की बेहतर परवरिश नहीं कर पा रहे हैं। इसके पीछे न शिक्षा-संसाधनों की कमी है न माता-पिता की लापरवाही। यह सिर्फ़ ठीक परवरिश के फार्मूलों की जानकारी न होने की वजह से है। कानपुर में भारतीय एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की वर्कशॉप में इसका खुलासा एक सर्वे के जरिए हुआ है। यह सर्वे एकेडमी की दिल्ली शाखा की जानकार डाक्टर शर्मिला की टीम ने किया है।
डॉ। शर्मिला की टीम ने 17 महीने में तीन वर्ष की उम्र तक के 252 बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को ध्यान में रखकर सर्वे किया। इसमें शून्य से छह माह, छह से 12 माह, 12 से 24 और 24 से 36 माह तक के बच्चों की भिन्न-भिन्न श्रेणी बना कर शोध किया गया।
135 बच्चों का विकास प्रभावित
डॉ। शर्मिला के अनुसार सर्वे में 135 बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास उम्र के सापेक्ष कम मिला। शोध में पता चला कि इन बच्चों के माता-पिता को बच्चों के पालन-पोषण का बेहतर तरीका नहीं पता था। इस वजह से उनके बच्चों में खून की कमी, भूख न लगना, असंतुलित शारीरिक और मानसिक विकास पाया गया। उन्हें बच्चों को खिलाने-पिलाने, सुलाने, बैठाने का मुनासिब तरीका नहीं पता था। ये बच्चे मोबाइल, टीवी के सहारे पल रहे थे।
डॉक्टर की राय
– बच्चा स्वस्थ हो, तो भी बीच-बीच में डॉक्टरी जांच कराते रहें।
– यदि बच्चा खेलना चाहता है तो उसे रोकें नहीं, उसके साथ खेलें।
– माता ही नहीं पिता भी उसकी देखरेख में अपना सहयोग दें।
– सकारात्मक सोच के साथ छह माह तक मां बच्चे को अपना ही दूध पिलाएं।
– डिब्बा बंद दूध से दूरी बनाएं। उसके बाद घर का बना आहार दें।
– गर्भावस्था के सौ दिन तक आयरन और कैल्शियम की दवा लें।
– कम से कम दो वर्ष की उम्र तक बच्चे को मोबाइल-टीवी से दूर रखें।
– घर में स्वस्थ माहौल रहे, हिंसक दृश्य बच्चे न देखें।
– भोजन में बच्चों के साथ कतई जबरदस्ती न करें।
– बच्चे को भोजन कराने के लिए अचानक खिलौने न छीनें।
– दिमाग का 90 प्रतिशत विकास तीन वर्ष तक होता है, इस उम्र तक बच्चे को अच्छी से अच्छी स्मृति दें।
आईएपी के नेचुरल साइंटिफिक कोऑर्डिनडेटर, डाक्टर शर्मिला मुखर्जी ने बोला कि तीन वर्ष तक के बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को जानने के लिए सर्वे किया। 54 प्रतिशत बच्चों के माता-पिता बेहतर परवरिश के उपायों से अनजान थे। इसका असर बच्चों पर पड़ रहा है। सुधार न होने पर बच्चे को आगे कई समस्याएं हो सकती हैं।
आईएपी कानपुर के प्रेसिडेंट, डॉ। यशवंत राव ने बोला कि सर्वे ने कई जरूरी तथ्य खुलासा किए हैं। तीन वर्ष तक के बच्चों को बेहतर देखरेख की आवश्यकता है। इससे ही बच्चों का विकास बेहतर होगा।