यहां पर जिंदा जलाए गए थे 1.60 लाख लोग, आज भी घूमती हैं आत्माएं
कहा जाता है कि मृत्यु का यह टापू कभी अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध था। हालाँकि, आज यह द्वीप निर्जन हालत में है। कई वर्ष पहले इटली में प्लेग ने भारी तबाही मचाई थी। इस बीच बड़ी संख्या में लोग इस महामारी की चपेट में आ गए। तब इटली की गवर्नमेंट इस रोग पर काबू नहीं पा सकी थी।
इस दौरान इटली की गवर्नमेंट ने करीब 160 हजार रोगियों को इस आइलैंड पर लाकर जिंदा आग के हवाले कर दिया था। इस विध्वंसक रोग के बाद इटली में काला बुखार नामक एक और रोग फैल गई। इस रोग से होने वाली मौतें भी लाइलाज होती हैं। उन शवों को भी इसी द्वीप पर दफनाया गया था।
तभी से इस आइलैंड के आसपास के लोगों को आइलैंड पर अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देने लगीं। यहां के लोगों को द्वीप पर आत्माओं की उपस्थिति का एहसास हुआ और लोगों ने द्वीप पर जाना बंद कर दिया। यह द्वीप वेनिस की खाड़ी में वेनिस और लिडो के इतालवी शहरों के बीच स्थित है। यहां अब कोई जाना पसंद नहीं करता। माना जाता है कि जो भी यहां जाता है वह जिंदा नहीं लौटता है।
एक बार इटली की गवर्नमेंट मेंटल हॉस्पिटल बनाकर यहां लोगों की आवाजाही बढ़ाना चाहती थी। हालांकि, वहां काम कर रहे डॉक्टरों और नर्सों ने काफी खुशी महसूस की। डॉक्टरों ने बोला कि उन्होंने मृत्यु के इस द्वीप में कई असामान्य चीजें देखीं। उसमें से घातक आवाजें निकल रही थीं। रोगियों के परिजनों ने भी कई बार भूत देखने की बात कही। इसके बाद गवर्नमेंट को जल्द ही मानसिक हॉस्पिटल बंद करना पड़ा। इसके बाद वर्ष 1960 में इटली गवर्नमेंट ने इसे एक अमीर शख्स को भी बेच दिया। इसके बाद उस आदमी के परिवार के साथ घातक हादसे हुए।