भगवान शिव के इस मंदिर में रात में होती है शिवलिंग की पूजा
यह मंदिर पुणे से करीब 110 किलोमीटर दूर है
यह मंदिर पुणे से लगभग 110 किमी की दूरी पर स्थित है। इसे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कहते हैं। यह मंदिर ईश्वर शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित यह मंदिर ईश्वर शिव को अत्यंत प्रिय है। इसकी ऊंचाई करीब 3,250 फीट है। मान्यता है कि यहां ईश्वर शिव का वास है।
इसी से इसका नाम ज्योतिर्लिंग पड़ा
इस ज्योतिर्लिंग को भीमाशंकर इसलिए बोला जाता है क्योंकि यह मंदिर भीम के समान मोटा और सामान्य शिवलिंग से थोड़ा बड़ा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस जगह पर ईश्वर शिव और राक्षस त्रिपुरासर के बीच बहुत विशाल युद्ध हुआ था। ईश्वर शिव ने राक्षस का वध किया और युद्ध जीता। बोला जाता है कि इस युद्ध से भयानक गर्मी उत्पन्न हुई जिससे भीमा नदी सूख गई। इसके बाद नदी फिर से ईश्वर शिव के शरीर से निकले पसीने से भर गई। तभी से इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीम शंकर पड़ा।
रात में पूजा क्यों की जाती है?
मान्यताओं के मुताबिक इस मंदिर में दो तरह की पूजा होती है। एक पूजा वह है जो सुबह और दिन के समय की जाती है और दूसरी वह होती है जो भक्तों द्वारा रात में की जाती है। भक्त यहां रात के समय भी पूरी श्रद्धा से ईश्वर शिव के शिवलिंग रूप की पूजा करते हैं। पूजा करने के बाद भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति भी होती है और उन्हें सिद्धि की शक्ति प्रदान होती है। इसके अतिरिक्त मंदिर के बारे में यह भी मान्यता है कि भक्त रात के समय इस मंदिर में पूजा करते हैं क्योंकि वे अपने पापों के कारण भयानक रूप से पीड़ित होते हैं और अपने पापों से मुक्त होने की ख़्वाहिश से ही ईश्वर शिव के पास आते हैं।
ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है
महाराष्ट्र में पुणे के पास सह्याद्री पर्वत पर स्थित भीमाशंकर मंदिर को बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से छठा है। यहां का शिवलिंग आकार में काफी मोटा है, इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव भी बोला जाता है।