भगवान को अक्षत क्यों चढ़ाए जाते हैं, जानें इसका पूरा महत्व
इन दिनों नवरात्रि चल रहे हैं, जहां मंदिरों में भक्तों की लाइन, घरों में माता के जगराते, पूजा पाठ चल रही है, लेकिन इसके साथ ही पूजा पाठ में हमेशा ही टीका (तिलक) का विशेष महत्व रहा है और यही कारण है कि पूजा के अतिरिक्त भी प्रत्येक शुभ काम में तिलक के साथ चावल (अक्षत) का प्रयोग जरूर किया जाता है, लेकिन पूजा में खंडित (टूटे चावलों) का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसका कारण जानने के लिए जब मीडिया ने ऋषिकेश से चमोली पहुंचे विद्वान (व्यास) हिमांशु कंडवाल से वार्ता की, तो उन्होंने ईश्वर को अक्षत क्यों चढ़ाए जाते हैं कहा इसका पूरा महत्व।
ज्योतिषाचार्य पं। हिमांशु कंडवाल बताते हैं कि हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का बहुत महत्व है। पूजा पाठ में इस्तेमाल किए जाने वाली पूजा-सामग्री को भी बड़े ही ध्यान से ईश्वर को अर्पित किया जाता है। इसी प्रकार से हम पूजा में अक्षत का प्रयोग भी हमेशा से करते आ रहे हैं, लेकिन अक्षत अर्पित करते समय कुछ ऐसे नियम बताए गए हैं। जिनको न मानने से ईश्वर नाराज हो सकते हैं और इसका हमारे जीवन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। पंडित बताते हैं कि सनातन शास्त्र में अक्षत का अर्थ ‘जो टूटा ना हो’ कहा गया है। इसलिए यदि हम पूजा-पाठ के समय ईश्वर को खंडित अक्षत चढ़ाते हैं तो इसे वैदिक रूप से अशुभ माना गया है।
शांति का प्रतीक है सफेद
बताते हैं कि पूजा में अक्षत चढ़ाने का उद्देश्य पूजन भी अक्षत की तरह पूरा हो और इसमें कोई बाधा न आए, पूजा बीच में न टूटे यानी अधूरी न रहे, इसी प्रार्थना के साथ ईश्वर को चढ़ाए जाते हैं। साथ ही क्योंकि चावल को अन्न में श्रेष्ठ माना गया है और सफेद रंग को शांति का प्रतीक माना जाता है। इसलिए भी चावल चढ़ाकर ईश्वर से प्रार्थना की जाती है कि हमारे सभी कार्य की पूर्णता चावल की तरह हो, हमें जीवन में शांति मिले।