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बासमती की ये 5 किस्में देंगी दोगुना मुनाफा, बस किसानों को करना होगा ये काम

कोडरमा हिंदुस्तान में किसान बड़े पैमाने पर धान की खेती करते हैं ज्यादातर किसान धान की पारंपरिक खेती पर बल देते आए हैं लेकिन, अब किसानी का तरीका बदल रहा है धान की खेती का सीजन निकट आ रहा है ऐसे में किसानों को हम धान की ऐसी वैरायटी के बारे में बताते हैं, जिसकी खेती से कम समय में आप बढ़िया फसल तैयार कर सकते हैं

अगर किसान धान को छोड़कर बासमती धान की खेती करें तो दोगुना फायदा सरलता से कमाया जा सकता है बासमती धान से तैयार चावल खुशबूदार के साथ टेस्टी भी होते हैं, जिसकी डिमांड पूरे वर्ष रहती है कृषि वैज्ञानिक ने किसानों के लिए बाजार में मौजूद बासमती धान की बेहतर प्रजाति और खेती की पूरी जानकारी साझा की है

बासमती धान की नर्सरी लगना प्रारम्भ करें
कृषि विज्ञान केंद्र कोडरमा के वरीय कृषि वैज्ञानिक डाक्टर एके राय ने Local 18 को कहा कि बासमती धान लगाने के लिए किसानों को मई-जून में खेत की जुताई करने के बाद घास को साफ कर देना चाहिए इसके बाद जब जून-जुलाई में मौसम की पहली बारिश होती है तब रोपाई प्रारम्भ कर दी जाती है किसान अभी बासमती धान की नर्सरी लगना प्रारम्भ कर सकते हैं

बीज की बुआई से पहले बीज को भिगोकर रखें
कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि धान की बुआई से पहले कार्बनडाजिम या त्रिपोजियम से धान का इलाज करना चाहिए इससे धान के बीज तेजी से अंकुरित होते हैं फसल में कीड़े भी नहीं लगते हैं किसानों को राय दी कि धान की नर्सरी तैयार करने से पहले धान के बीज को एक दिन अच्छी तरह से पानी में भिगोकर रखें इसके बाद बीज को नर्सरी के लिए लगाएं 25 से 30 दिन में नर्सरी तैयार होने के बाद इसे खेत में लगाते समय 2 से 3 इंच पानी होना महत्वपूर्ण है कहा कि जब बेहतर देखभाल से उन्नत प्रजाति की नर्सरी तैयार होगी, तब धान की फसल भी काफी उन्नत होगी

हवा के हानि से बचाएगा धान की ये किस्म
कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि पूसा बासमती-6 धान के पौधे कम ऊंचाई वाले होते हैं, जो तेज हवा में सुरक्षित रहते हैं इस धान से मिलने वाला चावल का दाना समान आकार का होता है इस धान के बीज से किसानों को एक हेक्टेयर में 55 से 60 क्विंटल पैदावार प्राप्त होती है

छोटे और सुगंधित दाने के लिए ये वैरायटी
कस्तूरी बासमती प्रजाति की धान अपने पौष्टिक गुणों की वजह से पहचानी जाती है इसमें धान के दाने छोटे और सुगंधित होते हैं स्वाद भी काफी बेहतरीन होता है, जिसकी वजह से बाजार में किसानों को इसकी बेहतर मूल्य मिलती है इसे तैयार होने में 120 से 130 दिनों का समय लगता है किसानों को एक हेक्टेयर में करीब 30 से 40 क्विंटल पैदावार प्राप्त होती है

पूसा बासमती 1121 धान में अधिक पानी की जरूरत
पूसा बासमती 1121 धान की खेती सिंचित क्षेत्र में की जाती है इसकी खेती में पानी की अधिक जरूरत है धान की यह फसल अधिक पानी में अधिक पैदावार देने में सक्षम है इस धान के दाने पतले और लंबे होते हैं इसे तैयार होने में 140 से 150 दिन का समय लगता है किसान एक हेक्टेयर में 40 से 50 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं

पकने में अधिक समय पर दाने सुगंधित
तरावड़ी बासमती धान की प्रजाति भी काफी बेहतर मानी जाती है अन्य धान के मुकाबले इसे पकने में थोड़ा अधिक समय लगता है यह धान 140 से 160 दिनों में पकते हैं प्रति एकड़ किसान 12 से 15 क्विंटल तक इसकी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं इसके दाने पतले और काफी सुगंधित होते हैं

इस धान के चावल की विदेश में भी सप्लाई
बासमती 370 धान काफी उत्तम प्रजाति मानी जाती है यही वजह है कि हिंदुस्तान के साथ इसके चावल को विदेश में भी निर्यात किया जाता है इसे तैयार होने में 140 से 150 दिन का समय लगता है बहुत खुशबूदार होने के साथ दानों की लंबाई अधिक होती है किसान 1 हेक्टेयर में 20 से 25 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं

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