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बड़ा ही अनोखा है कपिलेश्वर स्थान महादेव का इतिहास

जिले के कपिलेश्वर जगह महादेव का इतिहास बड़ा ही अनोखा है बोला जाता है कि प्रभु श्रीराम और माता सीता के शादी के दौरान जनकपुर प्रवास करते हुए कपिल मुनि इस स्थल पर आराम कर रहे थे उसी समय ईश्वर शिव ने उन्हें स्वप्न दिया शिव के स्वप्न से वे जागे और शिवलिंग की खोज प्रारम्भ कर दी थोड़ी देर के बाद उन्होंने देखा कि एक गाय की दूध धारा वहां बह रही है करीब जाने पर उन्हें शिवलिंग का एहसास हुआ और उन्होंने इसकी पूजा-अर्चना प्रारम्भ कर दी

श्रीमद्भागवत के मुताबिक उन्हें विष्णु के 24 अवतारों में से एक 5वां अवतार माना जाता है इनको अग्नि का अवतार और ब्रह्मा का मानस पुत्र भी बोला गया है कर्दम ऋषि ने शादी पूर्व सतयुग में सरस्वती नदी के किनारे ईश्वर विष्णु की घोर तपस्या की थी उसी के फलस्वरूप ईश्वर विष्णु कपिल मुनि के रूप में कर्दम ऋषि के यहां जन्मे इनकी माता स्वायंभुव मनु की पुत्री देवहूति थी कला, अनुसुइया, श्रद्धा, हविर्भू, गति, क्रिया, ख्याति, अरुंधती और शांति आदि कपिल मुनि की बहने थी गीता में कपिल मुनि को श्रेष्ठ मुनि का दर्जा दिया गया है

कैसे हुई शिवलिंग की स्थापना?
यहां के शिवलिंग के स्थापना की कहानी काफी दिलचस्प है माना जाता है कि कपिल मुनि जब जनकपुर प्रवास कर रहे थे इसी दौरान वो यहां के वन और शांत वातावरण देख रुक गए इसी दौरान शिवजी ने उन्हें स्वप्न देते हुए शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने को कहा यूं तो रोजाना यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है लेकिन श्रावण मेले में भक्तों की काफी भीड़ होती है इसके अतिरिक्त प्रत्येक सोमवार को भी भक्तगण उपस्थित यहां आते हैं श्रावण मास में जयनगर के कमला नदी से श्रद्धालु जल लेकर महादेव को अर्पित करते हैं माना जाता है कि यहां पूजा करने से मनोवांछित कामयाबी मिलती है

कई देवी-देवताओं की प्रतिमा है स्थापित
मंदिर परिसर का कुल भू-भाग 3 एकड़ में है इसमें ईश्वर शिव, माता पार्वती, भैरवनाथ समेत कई देवी-देवता की प्रतिमाएं हैं यहां एक बड़ा सा कुंड भी है, जिसे कर्दम कुंड के नाम से जाना जाता है वहीं, पूजा- अर्चना करने के लिए 30 की संख्या में पंडित भी हैं जिन्हें राजघराने के ट्रस्ट से मासिक वेतन मिलती है पंडित श्याम बताते हैं कि इस जगह पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए दरभंगा महराज ने जमीन जरूर दी, लेकिन मालिक स्वयं बने रहे अब यह मंदिर राजघराने ट्रस्ट के ज़रिए संचालित है हालांकि, मधुबनी के पुराने जिलाधिकारी रहे शीर्षत कपिल ने वर्ष 2019 में बिहार गवर्नमेंट से इसे पर्यटन स्थल के रूप में डेवलप करने का निवेदन पत्र भेजा था यदि आप भी यहां आना चाहते हैं तो सबसे पहले मधुबनी आना होगा उसके बाद 10 किलोमीटर की दूरी तय कर आप यहां पहुंच सकते हैं

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