जानें कैसे करें महाशिवरात्रि का व्रत और पूजा विधि के बारें में…
8 मार्च, शुक्रवार को शिव पूजा का महापर्व है। इस दिन व्रत रखने और शिवजी की महापूजा करने का विधान ग्रंथों में कहा है। शिव पुराण के अनुसार इस पर्व पर पूरे दिन व्रत और उपवास रखने का विधान है। इस दिन रात के चारों प्रहर में महापूजा की जाती है।
शिव पुराण के अनुसार फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ईश्वर शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे, इसलिए महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। वहीं, ये मान्यताएं भी हैं कि इसी दिन शिव-पार्वती शादी हुआ था। इस के अतिरिक्त ये भी माना जाता है कि इस दिन शिवजी ने हलाहल विष पिया था। शिवरात्रि मनाने की एक वजह ये भी मानी जाती है कि इस दिन शिवजी एकात्म हुए थे।
अब जानते हैं शिवरात्रि पर व्रत किस तरह रखा जाए और पूजा में किन बातों का ध्यान रखना होगा…
व्रत की विधि: बिना अन्न खाएं करें शिवरात्रि का व्रत
1. सूर्योदय से पहले उठें। पानी में गंगाजल और काले तिल मिलाकर नहाएं। व्रत और शिव पूजा का संकल्प लें। व्रत-उपवास में अन्न नहीं खाएं।
2. पुराणों में जिक्र है कि पूरे दिन पानी भी नहीं पीना चाहिए। इतना मुश्किल व्रत न कर सकें तो फल, दूध और पानी ले सकते हैं।
3. सुबह-शाम नहाने के बाद शिव मंदिर दर्शन के लिए जाएं।
महाशिवरात्रि की पूजा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
1. सुबह नहाने के बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर ललाट पर भस्म या चंदन से त्रिपुंड बनाएं। रुद्राक्ष धारण करें।
2. भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, शिवजी के ये आठ नाम बोलकर प्रणाम करें। पूरे दिन ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।
3. सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होने वाले रात के चारों प्रहर में पूजा करने का विधान शिव पुराण में कहा है। शाम को नहाकर शिव मंदिर में दर्शन करने जाएं।
4. मंदिर में तिल के ऑयल का दीपक लगाएं। शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर चढ़ाएं।
5. पंचामृत और सही जल से अभिषेक करें। शिवलिंग पर फल, फूल, चंदन, बिल्वपत्र और धतूरा चढ़ाएं।
महाशिवरात्रि की पूजा करते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए। शिवजी को कुंद, केतकी और कैंथ के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए। शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाने के बाद उसे नहीं पीना चाहिए। सिर और आंखों पर लगा सकते हैं। पूजा के बाद शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही करनी चाहिए।