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जानें, अर्थिंग या धरती से कुदरती तौर पर जुड़ने के फायदों के बारे में…

Earthing health benefits: मिट्टी से ही आए हैं और मिट्टी में मिल जाएंगे मिट्टी से ही हम खाते-पीते हैं और इसी मिट्टी में समा भी जाएंगे बड़े-बुजुर्ग अक्सर ऐसी बातें करते रहते हैं दरअसल, मिट्टी कई रोंगों की दवा भी हो सकती है वो भी एकदम निःशुल्क में हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप इस धरती के साथ कितने जुड़े हुए हैं अध्ययनों में दावा किया गया है कि धरती और इसकी ऊर्जा से जुड़ना ऑवरऑल हेल्थ के लिए बहुत लाभ वाला है इससे मन को जो शांति मिलती है वह तो बेमिसाल है ही, यह तन को भी बहुत लाभ पहुंचाता है हालांकि धरती से किस प्रकार जुड़ा जाए यह सीखने की आवश्यकता है आइए जानते हैं कि अर्थिंग या धरती से कुदरती तौर पर जुड़ने के फायदों के बारे में जानें

अर्थिंग क्या है
सबसे पहले जानते हैं कि अर्थिंग है क्या क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार अर्थिंग का मतलब है जमीन के साथ शरीर या स्किन का सीधा संपर्क यदि आप नंगे पैर चलते हैं, जमीन पर लेटते हैं जिसमें स्किन का टच धरती से हो या घास पर लेटते हैं या समंदर किनारे रेत पर लेटते हैं तो ये सब अर्थिंग है इसके अतिरिक्त यदि आप स्विमिंग करते हैं या पानी में उतरते हैं तो भी यह अर्थिंग है वहीं किसी भी तरह आप मिट्टी या धूलकण को जमीन के सहारे हाथ से पकड़ते हैं या उसमें लोट जाते हैं या कोई खेल खेलते हैं जिसमें शरीर की स्किन जमीन से टच हो, तो वे सब अर्थिंग के उदाहरण हैं

अर्थिंग के फायदे
सबसे पहले नंगे पैर चलने से मूड बेहतर रहता है मन में शांति रहती है गुस्सा कम आता है और तनाव दूर होता है वहीं थकान और नींद की समस्याओं से भी निजात मिलती है माना जाता है कि अर्थिंग के कारण शरीर में इंफ्लामेशन यानी सूजन नहीं होती है इंफ्लामेशन के कारण ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, डायबिटीज, कैंसर जैसी क्रोनिक बीमारियां होती हैं इसके साथ ही अर्थिंग किसी भी तरह के दर्द को कम करने में सहायता करता है वहीं अर्थिंग से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है जिसके कारण इंफेक्शन वाली रोंगों का जोखिम कम हो जाता है अर्थिंग से हार्ट से संबंधित कई तरह की रोंगों की संभावना कम हो जाती है इसके अतिरिक्त ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम फंक्शन भी मजबूत होता है

जमीन के साथ संपर्क अहम
क्लिवलैंड क्लिनिक में साइकोलॉजिस्ट डाक्टर सुजेन अल्बर्स कहती हैं कि अर्थिंग का मतलब है कि आपकी स्किन का सीधा जमीन के साथ संपर्क होना इसमें या तो आपके नंगे पैर धरती के संपर्क में होने चाहिए या हाथ या शरीर का कोई खुला अंग इसके पीछे का विज्ञान यह है कि जब आप धरती के सीधा संपर्क में रहते हैं तो धरती से अर्थ मिलता है जिसके बाद धरती की इलेक्ट्रिक एनर्जी हमारे शरीर के इलेक्ट्रिक एनर्जी को अपने आप बैलेंस करती है इसलिए यह माना जाता है कि ऐसा होने से शरीर में क्रोनिक रोंगों का जोखिम कम हो जाता है डाक्टर सुजेन ने बोला कि दरअसल, जब हम पैरों में चप्पल या जूते पहन लेते हैं तो हमारा धरती के साथ संपर्क कट जाता है दिक्कतें यहीं से प्रारम्भ होने लगती है इसलिए यदि आप रबर के चप्पल पहनते हैं तो इससे इलेक्ट्रिसिटी आप तक नहीं पहुंचती

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