चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की होगी पूजा, जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि
नवरात्रि के हर एक दिन आदिशक्ति की उपासना के लिए विशेष है। देवी मां के नौ दिन, नौ रूप 9 वरदान की तरह हैं। ग्रहों का संकट, जीवन की बाधाएं और मानसिक परेशानियां देवी के आशीर्वाद से दूर हो जाती हैं। 11 अप्रैल दिन गुरुवार को चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है। नवरात्रि के तीसरे दिन गुरुवार को नवदुर्गा के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा की उपासना की जाएगी। आइए ज्योतिषाचार्य पंडित पीयूष पाराशर से जानते है मां चंद्रघंटा की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में…
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा नियमानुसार और शुभ मुहूर्त में ही करें तभी फायदा होगा। पूजा करने के लिए शुभ समय फायदा काल में सुबह 10 बजकर 45 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक है। अमृत काल में दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से लेकर 01 बजकर 36 मिनट तक है। वहीं, शुभ काल में अपराह्न 03 बजकर 03 मिनट से शाम 04 बजकर 28 मिनट तक शुभ मुहूर्त है।
नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजा विधि
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि नवरात्रि के तीसरे दिन लाल वस्त्र धारण करके मां चंद्रघंटा की उपासना करना उत्तम होता है। इस दिन स्नान करने के बाद सबसे पहले सभी देवी-देवताओं का आह्वान करना चाहिए, इसके बाद मां चंद्रघंटा का ध्यान करें और प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। मां चंद्रघंटा को धूप, रोली, चंदन,दीप, अक्षत अर्पित करें। पूजा के दौरान मां को कमल और शंखपुष्पी के फूल चढ़ाए। मां को लाल फूल, रक्त चंदन और लाल चुनरी समर्पित करना चाहिए। मां को दूध या फिर दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। मां के मंत्र का एक माला जाप करें। पूजा के अंत में व्रत कथा का पाठ करें और आरती जरूर करें।
मां चंद्रघंटा को इन चीजों का लगाएं भोग
मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा करने के दौरान भिन्न-भिन्न तरह के भोग लगाए जाते हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन रात्रि में माता चंद्रघंटा के सामने बैठ जाएं, इसके बाद लाल वस्त्र धारण कर माता को लाल फूल और लाल वस्त्र अर्पित करें। मंत्र जाप के बाद लाल वस्त्र को अपने पास सुरक्षित रख लें। मां चंद्रघंटा को आप भोग में सेब, केला, दूध की मिठाई, खीर आदि का भोग लगाएं, क्योंकि ये चीजें उनकी पसंदीदा हैं।
मां चंद्रघंटा की पूजा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता.
प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता..
मां चंद्रघंटा की महिमा
मां चंद्रघंटा के माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा बोला गया है। माता चंद्रघंटा के दस हाथ है। इनके दसों हाथों में अस्त्र शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की है। इनकी पूजा करने वाला आदमी पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से होता है। इनकी आराधना से स्वभाव में भी विनम्रता आती है।।
नवरात्रि के तीसरे दिन का महत्व
नवरात्रि का तीसरा दिन साहस और आत्मविश्वास पाने का है। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करने पर हर तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है। नवरात्रि के तीसरे दिन माता चन्द्रघण्टा की पूजा-अर्चना उन लोगों को विशेष रूप से करनी चाहिए, जिनकी कुंडली में मंगल कमजोर है। नवरात्रि के तीसरे दिन विशेष साधना से आदमी निर्भय हो जाता है।