गुरुवार का व्रत कब से होगा शुरू, जानें इस व्रत के जुड़े खास नियम
गुरुवार, बृहस्पति देव और गुरु ग्रह से जुड़ा है। मान्यतानुसार, इस व्रत को रखने से दांपत्य जीवन में खुशहाली, अनुकूल वर की प्राप्ति, शिक्षा में उन्नति और कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है।
शास्त्रों की मान्यता के अनुसार, यह व्रत 16 हफ्ते तक रखा जा सकता है। 17 वें हफ्ते के पहले गुरुवार को उसका उद्यापन (व्रत खोलना) मुनासिब माना गया है। गुरुवार-व्रत के जुड़े खास नियम बताए गए हैं। जिसका वकायदा पालन करने से इच्छा पूरी होती है। जानिए, गुरुवार व्रत से जुड़े नियम और ठीक विधि।
गुरुवार का व्रत कब से प्रारम्भ करें?
धार्मिक मान्यतानुसार, पौष माह को छोड़कर किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से यह व्रत प्रारम्भ किया जा सकता है। यदि महिलाएं गुरुवार का व्रत प्रारम्भ करना चाहती हैं तो उन्हें पीरियड्स के दिनों का ध्यान रखना चाहिए। जो महिलाएं 16 गुरुवार व्रत का संकल्प लेती हैं , उन्हें बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।
गुरुवार व्रत नियम-विधि
नियम के अनुसार गुरुवार का व्रत रखने से इच्छा पूरी होती है। जब से गुरुवार का व्रत प्रारम्भ करें उस दिन सूर्य उदय से पहले उठें। इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें। फिर विष्णु ईश्वर का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें। इतना करने के बाद पूजा जगह पर या ईश्वर विष्णु को पीले फूल अर्पित करें। इसके अतिरिक्त उन्हें इसी रंग के चंदन अर्पित करें। भोग के तौर पर पीली वस्तुओं का ही इस्तेमाल करें।
वैसे ईश्वर विष्णु को केले का भोग लगा सकते हैं। पूजन के दौरान विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु जी के मंत्र का जाप कर सकते हैं। ‘ओम् विष्णवे नमः’ मंत्र का जाप कर सकते हैं। 108 की संख्या में मंत्र का जाप करेंगे तो अच्छा रहेगा। मंत्र जाप के लिए तुलसी की माला शुभ मानी गई है।
गुरुवार व्रत के दौरान दान करना शुभ माना गया है। पीली वस्तुओं का दान करना शुभ रहेगा। चने की दाल का दान अच्छा माना गया है। गुरुवार व्रत के दिन शाम के समय ईश्वर विष्णु की आरती करें। उसके बाद सूर्यास्त होने पर व्रत का पारण करें।