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गाय के दूध से बनाया ये मिठाई 15 दिनों तक रख सकते है स्टोर

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क.. झुंझुनू के कई क्षेत्र भिन्न-भिन्न चीजों के लिए प्रसिद्ध हैं इसमें चिड़ावा के पेड़, मांडवा की हवेलियां, नवलगढ़ के चित्र शामिल हैं. इसके साथ ही नवलगढ़ शिकाई का राजभोग भी अपनी अलग पहचान रखता है. नवलगढ़ ही वह क्षेत्र है जहां सबसे पहले सिकाई राजभोग का निर्माण हुआ था. इसका स्वाद ऐसा है कि लोग इसे खरीदने के लिए दूर-दूर से आते हैं. खाड़ी राष्ट्रों में रहने वाले लोग भी इन्हें अपने साथ रखते हैं.

यूनिट के राजभोग का स्वाद और विशेषता जानने के लिए समाचार एटिन की टीम बाबूलाल कन्फेक्शनरी पहुंची जहां खेती के लिए राजभोग बनाया जा रहा था, वहां बाबूलाल ने कहा कि यह राजभोग केवल गाय के दूध से बनाया गया है इसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक रंगों का प्रयोग नहीं किया जाता है. इस राजभोग को बनाने से पहले इसका रंग सफेद होता है जब ये तैयार हो जाते हैं तो इनका रंग भूरा हो जाता है हलवाई ने बोला कि इसे सिर्फ़ गाय के दूध से बनाने का सबसे जरूरी कारण यह है कि गाय के दूध में वसा बहुत कम होती है. दूसरा, गाय के दूध में स्पंज की मात्रा अधिक होती है. जिससे शिक्षा के दौरान यह राजभोग टूटता नहीं बल्कि और मजबूत हो जाता है.

इसी से वे अपनी जीविका चलाते हैं
खेती के लिए राजभोग बनाने के लिए सबसे पहले गाय का दूध निकाला जाता है. फिर इनकी गोल टिक्की तैयार हो जाती है इसके बाद चाशनी तैयार हो जाती है और तब तक चाशनी में पक जाती है जब तक उनका रंग भूरा न हो जाए

कीमत क्या है
बाबूलाल हलवाई के बेटे महेंद्र ने कहा कि उनके पिता करीब 70 वर्ष से यह काम कर रहे हैं बाबूलाल हलवाई सिकाई के राजभोग के अतिरिक्त केसर बाटी बनाने में भी माहिर हैं लोगों को राजभोग चुनने की सीख देने के पीछे मुख्य कारण यह है कि यह राजभोग सिर्फ़ दूध और चीनी की चाशनी से बनाया जाता है. इसमें किसी भी तेल, रसायन या किसी अन्य सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. यह राजभोग बाजार में 18 रुपये प्रति पीस की मूल्य पर मौजूद है

राजभोग शीघ्र ख़राब नहीं होता
आमतौर पर यह राजभोग गर्मियों में रखने पर 3 से 4 दिन तक खराब नहीं होता है यह राजभोग सर्दियों में 10 से 15 दिनों तक खराब नहीं होता है और ठंडी स्थान पर रखने पर कई दिनों तक आराम से इस्तेमाल किया जा सकता है

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