इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान माता का मेवा और फल से होता है श्रृंगार
लखनऊ: यूपी की राजधानी लखनऊ अपनी ऐतिहासिक इमारतों और धार्मिक विविधता के लिए जानी जाती है। यहां की तंग गलियों में कुछ ऐसे प्राचीन मंदिर है, जिनका इतिहास सालों पुराना है। इनमें से एक जगह है माँ आनंदी देवी मंदिर, जो शहर के प्रमुख देवी मंदिरों में से एक है। मान्यता है कि माता यहां स्वयंभू है और भक्त यहां दर्शन के लिए दूरदराज से आते हैं।
आनंदी देवी जिन्हे देवी दुर्गा के रूप में पूजा जाता है।मंदिर के पुजारी अतुल अवस्थी ने कहा कि यहां देवी माँ स्वयंभू हैं। यहां कोई मूर्ति स्थापित नहीं की गई है, बल्कि देवी माँ स्वयं इस जगह पर विराजमान हैं। यह मंदिर 1000 साल से भी अधिक पुराना है। उनका बोलना है कि मंदिर के इर्द-गिर्द की दुकानें सुबह दुकान खोलने से पहले दुकान की चाबी माता के चरणों में रखते हैं और उसके बाद ही अपनी दुकानें खोलते हैं। यहां जो भी भक्त सच्चे मन से आता है माता उनकी इच्छा पूरी करती हैं।
अलग-अलग रूपों किया जाता श्रृंगार
नवरात्रि में माता का विशेष श्रृंगार होता है। इस समय माता को नव दिनों तक भिन्न-भिन्न रूपों में मेवा और फल से श्रृंगार किया जाता है। यह श्रृंगार उनकी महिमा को और भी बढ़ाता है और जब किसी भक्त की इच्छा पूर्ण होती है। वह भी माता का श्रृंगार करवाता है,जो भक्तों को आनंद और संतोष प्रदान करती है।
भक्तों का होता कल्याण
यहां दर्शन करने वाले भक्तों का बोलना है कि माता की लीलाएं अपार है।माता के दरबार में आने वाले का कल्याण होता है। माता की मूर्ति जागती हुई है और ऐसा लगता है कि मां आपसे बात कर रही है।नवरात्रि के समय में माता का रूप मनमोहक होता है और दर्शन से ही आनंद मिलता है। आप भी माता के दर्शन करना चाहते है तो आना होगा आनंदी देवी मंदिर,चौक। आप चारबाग रेलवे स्टेशन से ऑटो कैब द्वारा सरलता से पहुंच सकते है