इस मंत्र से करें वट सावित्री का व्रत पूर्ण
इस साल वट सावित्री का व्रत 6 जून 2024 को मनाया जाएगा। बट सावित्री का व्रत स्त्रियों के लिए बहुत जरूरी माना जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज पाठक ने हमारे सनातन धर्म में सबसे प्रमुख त्यौहार में से एक बट सावित्री का व्रत माना जाता है। सुहागन महिलाएं बट वृक्ष की पूजा कर दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं।
यह भी माना जाता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों का बस होता है। इस व्रत को करने वाली स्त्रियों के ऊपर तीनों देवताओं का आशीर्वाद सदा बना रहता है। इसके अतिरिक्त यह त्यौहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार के अतिरिक्त मध्य प्रदेश के पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है। तो आईए जानते हैं इस व्रत को करने के लिए आसान पूजन विधि और मंत्र।
बट सावित्री व्रत की आसान पूजन विधि
बट सावित्री का व्रत करने वाली महिलाएं सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी मैं स्नान करें। यदि घर के आसपास कोई नदी न हो तो नर्मदा या किसी पवित्र नदी का जल अपने स्नान करने के पानी में मिलाकर स्नान कर लें। इसके बाद पारंपरिक और सुंदर वस्त्र धारण कर स्वयं का सोलह श्रृंगार करें। फिर प्रसाद के लिए सात्विक भोजन तैयार कीजिए।
इसके बाद कच्चा सूत, जल से भरा कलश, हल्दी, कुमकुम, फूल और पूजन की सभी प्रकार की सामग्री लेकर जहां बट वृक्ष है वहां पर जाएं। अब इसके बाद सही जल वट वृक्ष पर चढ़ाएं और उसके समक्ष सही गाय का देसी घी का दीपक जलाएं। इसके बाद सभी पूजन सामग्री एक-एक करके वट वृक्ष पर अर्पित करें। इसके बाद बट वृक्ष के चारों ओर 7 बार परिक्रमा करें। साथ ही चारों ओर सफेद कच्चा सूत बांध ले। अब बट सावित्री की कथा का पाठ करें। इसके बाद आखिरी चरण में आरती से पूजा कर समाप्ति करें। अब इसके बाद ईश्वर का आशीर्वाद लें, उन्हें प्रणाम करें और पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें। फिर घर आकर घर के बड़े बुजुर्ग से आशीर्वाद प्राप्त करें।
वट वृक्ष पूजन मंत्र
1. अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते.पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते..
2. यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले.तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा..