आखिर क्यों आज ही दिन मनाया जाता हैं विश्व रेडक्रॉस दिवस…
इंटरनेशनल कमेटी फॉर रिलीफ टू द उन्डेड
पीड़ित इन्सानियत की सेवा बिना भेदभाव के करते रहने का विचार देने वाले तथा रेडक्रॉस अभियान को जन्म देने वाले महान् इन्सानियत प्रेमी जीन हेनरी डयूनेन्ट का जन्म 8 मई 1828 में हुआ था. उनके जन्म दिवस 8 मई को विश्व रेडक्रॉस दिवस के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है. उन्होंने समाज सेवा के क्षेत्र में गौरतलब कार्य किया और पूरे विश्व के लोगों को मानवतावादी सेवक के रूप में स्थापित करने के लिए प्रेरित किया. सेवा कार्य के लिए उनके द्वारा गठित सोसायटी को रेडक्रॉस का नाम दिया गया. वर्तमान में विश्व के 186 राष्ट्रों में रेडक्रॉस सोसायटी कार्य कर रही है. वर्ष 1901 में हेनरी डयूनेंट को उनके मानव सेवा के कार्यों के लिए पहला नोबेल शांति पुरस्कार मिला. युद्ध में घायल सैनिकों की स्थिति से विचलित हेनरी डयूनेन्ट ने 9 फरवरी 1863 को जेनेवा में पांच लोगों की एक कमेटी बनाई. हेनरी की इस परिकल्पना का नाम था ‘इंटरनेशनल कमेटी फॉर रिलीफ टू द उन्डेड’. उसी वर्ष अक्टूबर में जेनेवा में ही एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ. इसमें 18 विभिन्न राष्ट्रों के प्रतिनिधि शामिल हुए. इसी में रेडक्रॉस को अमली जामा पहनाने का मसौदा तैयार किया गया.
इस संस्था की पहचान के लिए सफ़ेद पट्टी पर लाल रंग के क्रास चिह्न को मान्यता दी गई. आज यह चिह्न पूरे विश्व में पीड़ित इन्सानियत की सेवा का प्रतीक बन गया है. इसके साथ यह भी अतिमहत्त्वपूर्ण है कि विश्व का पहला ब्लड बैंक रेडक्रॉस की पहल पर अमेरिका में 1937 में खुला. आज विश्व के अधिकतर ब्लड बैंकों का संचालन रेडक्रॉस एवं उसकी सहयोगी संस्थाओं के द्वारा किया जाता है. रेडक्रॉस द्वारा चलाए गए रक्तदान जागरूकता अभियान के कारण ही आज थैलेसिमिया, कैंसर, एनीमिया जैसी अनेक जानलेवा रोंगों से हजारों लोगों की जान बच रही है.