इस दिन रखा जाएगा विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
साल 2023 का सावन पर्वों और त्योहारों से भरा हुआ है. इसी क्रम में आने वाले 4 अगस्त, शुक्रवार के दिन विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. संकष्टी चतुर्थी के दिन ईश्वर गणेश की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. साथ ही व्रत के दिन रात में चंद्रमा को अर्घ्य भी दिया जाता है जिसके बाद ही व्रत पूर्ण होता है. इसे हम अधिक मास की संकष्टी चतुर्थी या मलमास की संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं. आइए जानते हैं व्रत के महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त.
व्रत की तिथि
हिंदू पंचांग के मुताबिक श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 4 अगस्त के दिन शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर प्रारम्भ होगी. जबकि यह 5 अगस्त, शनिवार के दिन सुबह 9 बजकर 39 मिनट पर खत्म होगी. हालांकि, चतुर्थी के चंद्रोदय समय के आधार पर विभुवन संकष्टि चतुर्थी व्रत 4 अगस्त को रखा जाएगा.
पूजा का शुभ मुहूर्त
विभूवन संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 4 अगस्त को सुबह 5 बजकर 39 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 21 मिनट तक है. उसके बाद सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 3 बजकर 52 मिनट तक है. बता दें कि इस दिन चंद्रोदय रात 9 बजकर 20 मिनट पर होगा.
इस दिन पंचक और भद्रा का भी साया है
बता दें कि वर्ष 2030 में विभुवन संकष्टी चतुर्थी पंचक में है. इस दिन व्रत के पूरे समय पंचक है. दूसरी ओर भद्रा भी सुबह से लेकर दोपहर तक है. 4 अगस्त के दिन भद्रा सुबह 5 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 तक है.
व्रत का महत्व
संकष्टी चतुर्थी के दिन ईश्वर गणेश की पूजा से जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर होती है और सुख समृद्धि का आगमन होता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन चन्द्रमा की पूजा से मन और चित्त के विकार दूर होते हैं. बता दें कि मोदक गणपति जी का सबसे प्रिय भोग