इस सितंबर आप भी परिवार के साथ करें Unakoti के इस रहस्यमयी तीर्थस्थल की सैर
ये बहुत रहस्यमयी मूर्तियां घने जंगल और ऊंचे पहाड़ों के बीच चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं. क्या आप जानते हैं इस स्थान को उनाकोटि क्यों बोला जाता है? दरअसल, उनाकोटि एक बंगाली शब्द है, जिसका मतलब एक करोड़ से एक कम होता है. ऐसा माना जाता है कि यहां
हालाँकि, इन मूर्तियों से जुड़ी कई कहानियाँ हैं, लेकिन सबसे दिलचस्प कहानी त्रिपुरा के माणिक्य राजाओं द्वारा प्रचलित है. आपको बता दें, इसका संबंध भगवान शिव से है. बोला जाता है कि शिवाजी उनाकोटि के इन जंगलों से होते हुए काशी जा रहे थे और एक रात यहीं रुके थे. उनके साथ 99,99,999 देवी-देवता मौजूद थे. शिवजी ने उन सभी को सूर्योदय से पहले उठने को कहा. लेकिन अगली सुबह जब कोई भी समय पर नहीं जागा तो उन्होंने सभी को श्राप देकर पत्थर में बदल दिया!दूसरी कहानी यह है कि इस क्षेत्र में रहने वाला कालू नाम का एक शिल्पकार भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था. इस प्रकार, वह अपनी भक्ति से भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करना चाहता था और उनके साथ कैलाश पर्वत पर रहना चाहता था, लेकिन पृथ्वी पर किसी भी आदमी के लिए यह संभव नहीं था. बेशक, भगवान शिव ने उसे इसके लिए इंकार किया, लेकिन कालू ज़िद पर अड़ा रहा. ऐसे में भगवान शिव ने उनके सामने एक शर्त रखी.
शर्त के अनुसार उन्हें एक रात में एक करोड़ (एक करोड़) मूर्तियां बनानी थीं. भगवान शिव और पार्वती के साथ कैलाश पर रहने की इस शर्त को पूरा करने के लिए कालू (शिल्पकार) पूरे मन से अपने काम में लग गया. उन्होंने रात भर में मूर्तियां बनाईं, लेकिन सुबह गिनती करने पर पता चला कि उन्होंने सिर्फ़ 99 लाख 99 हजार 999 मूर्तियां ही बनाई हैं. यानी एक करोड़ से भी कम। इस प्रकार, शर्त पूरी नहीं हो सकी और वह भगवान शिव और पार्वती के साथ कैलाश पर्वत नहीं जा सके.
आप मानें या न मानें, पुरातत्व विभाग के अनुसार इस स्थान का निर्माण 8वीं से 13वीं शताब्दी के बीच हुआ था. पर्यटक इसकी तुलना अमेरिका के माउंट रशमोर से करते हैं, जिस पर अमेरिकी राष्ट्रपतियों की नक्काशी बनी हुई है. ऐसी ही एक और स्थान है कंबोडिया का बेयोन टेम्पल. आपको बता दें, कंबोडिया के मशहूर बेयोन मंदिर में भी ऐसे बड़े चेहरे बने हैं. यहां भिन्न-भिन्न पत्थरों को जोड़कर उस पर मंदिर बनाया गया और फिर पूरे मंदिर को एक मुख के रूप में तराश दिया गय