पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को 3 साल की सजा, जानें पूरा मामला

पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को 3 साल की सजा, जानें पूरा मामला

PCPNDT न्यायालय की जज सीमा ढ़ाका ने पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को 3 वर्ष कारागार की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. बाबूलाल सिंगारिया ने कलेक्ट्रेट बैठक भवन में 30 जून 2001 को एक बैठक में तत्कालीन कलेक्टर उषा शर्मा और पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ मार दिया था. इस मुद्दे में बाबूलाल सिंगारिया के विरूद्ध मामला दर्ज कर चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की गई थी. तब से इस मुकदमा की सुनवाई चल रही थी. शुक्रवार को न्यायालय ने पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को दोषी मानते हुए यह सजा सुनाई.

मामले में अभियोजन अधिकारी निर्मला कुमारी ने बताया कि अजमेर के तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी को पूर्व विधायक ने थप्पड़ मार दिया था. जज ने 20 गवाह और दस्तावेजों के आधार पर यह निर्णय सुनाया है.इस मुद्दे में अंतिम गवाही तत्कालीन कलेक्टर उषा शर्मा की हुई थी. उषा शर्मा अभी प्रदेश की मुख्य सचिव पद पर हैं. जज ने निर्णय सुनाते समय टिप्पणी करते हुए कहा- पूर्व विधायक बाबुलाल सिंगारिया जनता की ओर से निर्वाचित सदस्य थे. उनसे गरिमा पूर्ण व्यवहार की अपेक्षा थी. उन्होंने जिस प्रकार का कृत्य किया, यह निंदनीय है. इसलिए उनके साथ नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता.

बाबूलाल सिंगारिया को इन धाराओं में मिली सजा

पीसीपीएनडीटी न्यायालय की जज सीमा ढाका ने आईपीसी की धारा 332 में 3 की सजा, आईपीसी की धारा 353 के अनुसार 2 वर्ष की सजा, 50 हजार रुपये का जुर्माना और आईपीसी की धारा 186 के अनुसार 3 माह का जेल और 500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. न्यायालय में पूर्व विधायक बाबूलाल की मौजूदगी में उन्हें सजा सुनाई गई. सिंगारिया के वकील ने जमानत अर्जी पेश की है.

कोर्ट में 20 गवाह पेश हुए थे 

22 वर्ष पुराने इस मुकदमा में अभियोजन पक्ष की ओर से 20 गवाह पेश किए गए. इनमें पीड़ित तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी, तत्कालीन एडिशनल एसपी वासुदेव भट्ट, तत्कालीन कलेक्टर उषा शर्मा और अन्य प्रत्यक्षदर्शी के साथ जांच अधिकारी पुन्नू स्वामी सतबीर सिंह भी न्यायालय में पेश हुए थे. 3 नवंबर 2004 को चार्जशीट पेश हुए थी. इससे पहले तत्कालीन एडीएम अशफाक हुसैन ने सिविल लाइंस थाने में केस दर्ज करवाया था. सिंगारिया ने अपने सियासी असर का उपयोग करते हुए इस प्रकरण और जांच को काफी समय पेंडिंग रखा. जिसके बाद 7 अप्रैल 2018 को न्यायालय में आरोप तय किए गए. 13 जनवरी 2021 को इस मुद्दे में सबूत और गवाह न्यायालय में पेश हुए. 21 मार्च 2023 को न्यायालय में आखिरी बहस हुई. इसमें अभियुक्त बाबूलाल सिंगारिया को दोषी माना गया.

ये है पूरा मामला

30 जून 2001 को अजमेर कलेक्ट्रेट परिसर में जिला सतर्कता और जन अभियोग निराकरण समिति की बैठक हुई थी. बैठक में प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि उपस्थित थे. बाबूलाल सिंगारिया तब कांग्रेस पार्टी के केकड़ी सीट से विधायक थे. बैठक में उपस्थित एसपी आलोक त्रिपाठी और बाबूलाल सिंगारिया के बीच किसी बात पर झगड़ा हो गई. पुलिस रिपोर्ट के अनुसार विधायक सिंगारिया ने गुस्से में त्रिपाठी के थप्पड़ जड़ दिया. मुद्दे को लेकर काफी हंगामा भी हुआ था. 22 वर्ष से यह मामला न्यायालय में चल रहा था.

घटना के समय अशोक गहलोत थे मुख्यमंत्री

इस घटना के समय 2001 में प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की गवर्नमेंट थी. अशोक गहलोत उस समय भी सीएम थे. घटना के समय गहलोत पाली के एक कार्यक्रम में व्यस्त थे. सुरक्षा ऑफिसरों ने घटना की सूचना मुख्यमंत्री गहलोत को दी थी. कार्यक्रम से ही गहलोत ने एसपी त्रिपाठी से बात की. जिसके बाद विधायक सिंगारिया को कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया था. तब सिंगारिया के विरूद्ध अजमेर के सिविल लाइन थाने में FIR दर्ज हुई थी. जबकि आलोक त्रिपाठी बाद में पुलिस महानिदेशक (एसीबी) के पद से रिटायर हुए थे.

बाबूलाल सिंगारिया का सियासी करियर

  • साल 1998 में बाबूलाल सिंगारिया ने केकड़ी (एससी) सीट से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर जीता.
  • साल 2003 में बाबूलाल सिंगारिया ने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी गोपाल लाल धोबी जीते.
  • साल 2008 में केकड़ी सीट सामान्य हुई. तो कांग्रेस पार्टी ने रघु शर्मा को टिकट दे दिया. सिंगारिया बागी बने, लेकिन रघु शर्मा जीते.
  • साल 2013 के विधानसभा चुनाव में सिंगारिया ने एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी के शत्रुघ्न गौतम जीते.