जैविक खेती को बढ़ावा देने में केन्द्र और राज्य सरकार कर रही प्रोत्साहित

नागौर : जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए चाहे वो केन्द्र की गवर्नमेंट हो या फिर राज्य गवर्नमेंट हो किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करती हैं। किसान के लिए कई प्रकार की योजना भी चलाती है। जैविक खेती से कई किसानों को लाभ भी होता है।
लेकिन आज हम एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहें है जिसे जैविक खेती से फसल उत्पादन में नुकसान भी होती है। लेकिन फिर भी वह पिछले छ: सालों से जैविक खेती कर रहा है। यह किसान नागौर के बूढ़ी गांव का रहने वाला हैं। किसान हरीराम ने बताया कि कैमिकल खेती करने से कई गुना अच्छा हैं जैविक खेती करना।
जानिए किस प्रकार से कर रहा है जैविक खेती
किसान हरिराम ने बताया कि सर्वप्रथम जैविक खेती करने के लिए नागौर के पूर्व सांसद सी।आर। चौधरी ने जैविक खेती के बारे में बताया। उनसे प्रेरित होकर मैंने जैविक खेती करने की आरंभ की। जैविक खेती करने के लिए खेत में फार्म पॉण्ड बनाया। जैविक खेती में सर्वप्रथम केंचुआ से बनी खाद का प्रयोग करने लगा। वर्तमान समय में गाय और भैंस के गोबर से खाद के रुप में खेतो में इस्तेमाल लेता हूं।
जैविक खेती में नुकसान फिर भी कर रहें है खेती
किसान हरिराम ने बताया कि जैविक खेती करने से फसलों की उपज कम होती हैं लेकिन इस खेती करने से आत्मा को शाँति मिलता हैं क्योंकि इसमें उत्पादन भले ही थोड़ा कम लेकिन इस खेती से होने वाली फसल शरीर के लिए अच्छी रहती है। क्योंकि इसमें किसी प्रकार का कोई कैमिकल नहीं रहता है, और मृदा की ऊपजाऊ शक्ति कम नहीं होती है। बल्कि ऊपजाऊ क्षमता बढ़ती है।
किसान हरीराम वर्ष में दो प्रकार की फसल लेते है खरीफ और रबी की। किसान ने बताया कि जैविक ढंग से की गई खेती में फसल का उत्पादन थोड़ा कम होता हैं परन्तु यह फसल रोग मुक्त होती है। खरीफ फसल में बाजरा, मूंग और ग्वांर की फसल लेते हैं वहीं रबी में जीरा, गेहूं की फसल लेते है।
कीटनाशकों को कम करने के लिए अपनाते हैं ये उपाय
हरिराम का बोलना हैं यदि फसल में कीट या किसी प्रकार का रोग लग जाए तो इस रोग और कीटों को मारने के लिए नीम ऑयल का प्रयोग कर सकते हैं। वहीं खेत में सेलो टेप यानि कि कुछ ऐसे कागज आते हैं यदि खेत में किसान इनका प्रयोग करे तो वह कीटनाशक उस टेप पर चिपक कर समाप्त हो जाते है।