MP के ऐतिहासिक भोजशाला में खुदाई के दौरान मिली एक खंडित संगमरमर की मूर्ति
धार। मध्य प्रदेश के धार जिले में ऐतिहासिक भोजशाला में सर्वे का आदेश उच्च न्यायालय ने दिया है। भोजशाला में रविवार को अब तक का सबसे लंबा वैज्ञानिक सर्वे किया गया। ASI की टीम ने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया के सदस्यों के साथ मिलकर ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) मशीनों से करीब 11 घंटे सर्वे किया। इसके लिए हैदराबाद से एक टीम आई थी। टीम ने मशीनों से यज्ञकुंड और आसपास की स्कैनिंग की। भोजशाला को हानि पहुंचाए बिना मशीनों की सहायता से जमीन के अंदर की स्थिति देखी जा रही है। रविवार को खुदाई के दौरान टीम को एक खंडित संगमरमर की मूर्ति मिली। इससे पहले खुदाई के दौरान तलवार, सिक्कों समेत सैकड़ों अवशेष मिल चुके हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, ASI और जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया की टीम ने रविवार को उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में खुदाई की। उत्तरी भाग में एक पत्थर पर आकृतियां उकेरी हुई मिलीं। एक दूसरे पत्थर पर चित्रकारी थी। तीसरा अवशेष संगमरमर के पत्थर का हिस्सा है, जो मूर्ति की तरह दिख रहा है। यह एक खंडित प्रतिमा है। पूर्वी भाग यानी मेन गेट के पास एक प्वॉइंट पर ग्राफिंग की गई है।
काली पट्टी बांधकर किया विरोध
बता दें कि बीते शुक्रवार को मुसलमान समुदाय के लोग भोजशाला में नमाज के लिए इकट्ठा हुए थे। उन्होंने सर्वे के विरोध के तौर पर काली पट्टी बांधी हुई थी। उन्होंने इस सर्वे को उच्चतम न्यायालय के निर्देश का उल्लंघन बताया। हिंदू पक्ष के वकील शिरीष दुबे ने बोला कि मुसलमान समुदाय के नेता इस मुद्दे में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को गलत समझ रहे हैं। दरअसल मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के बाद ASI पिछले 64 दिनों से भोजशाला में सर्वे कर रहा है।
ASI का संरक्षित स्मारक है भोजशाला
गौरतलब है कि ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ ने करीब एक हजार वर्ष पुराने भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच, सर्वेक्षण, खुदाई अथवा ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण की मांग की थी। हिंदू संगठनों ने उच्च न्यायालय में बोला था कि भोजशाला में सरस्वती माता का मंदिर है। अपने इस दावे को मजबूत करने के लिए हिंदू पक्ष ने उच्च न्यायालय के सामने परिसर की रंगीन फोटोज़ भी पेश की थीं। भोजशाला केंद्र गवर्नमेंट के अधीन ASI का संरक्षित स्मारक है। एएसआई के 7 अप्रैल 2003 के आदेश के मुताबिक चली आ रही प्रबंध के अनुसार हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस स्थान नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है। मुसलमान समुदाय भोजशाला परिसर को कमाल मौला की मस्जिद बताता है।