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Lok Sabha Elections 2024: बिहार में विरासत संभालने उतरी नई पीढ़ी, मिलिए चुनावी मैदान के मोर्चे पर डटे दिग्गजों के बेटे-बेटियों से

पटना . लोकसभा चुनाव में बढ़त बनाने को लेकर बिहार में सभी दलों ने अपनी ताक़त झोंक दी है. अधिकतर दल अपनी बढ़त बनाने को लेकर जहां प्रत्याशियों के चयन भी काफी सावधानियां बरती हैं, वहीं कई दलों ने वैसे प्रत्याशियों को भी चुनाव मैदान में उतारा है, जो अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में जुटे हैं.

ऐसे प्रत्याशी भी एड़ी-चोटी का बल लगाए हुए हैं. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की सियासी विरासत को संभालने के लिए पहले से ही उनके बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति में एक्टिव हैं, अब लोकसभा चुनाव में उनकी दो बेटियां भी चुनावी रण में ताल ठोंक रही हैं. पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती एक बार फिर बीजेपी के रामकृपाल यादव से मुकाबले में हैं. पिछले चुनाव में रामकृपाल ने मीसा भारती को हरा दिया था.

लालू प्रसाद की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य ने भी इस चुनाव से अपनी सियासी पारी की आरंभ कर दी है. इस चुनाव में सारण सीट पर उनका मुकाबला बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी से है. सारण से लालू 2004 और 2009 में सांसद रहे. रोहिणी की मां राबड़ी देवी यहां से 2014 में चुनाव हार गई थीं. रोहिणी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं.

इधर, लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान भी इस बार अपने पिता दिवंगत रामविलास पासवान की कर्मभूमि हाजीपुर को अपना कर्मक्षेत्र बनाने के लिए हाजीपुर से चुनाव मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं. पासवान अभी जमुई से सांसद हैं. हाजीपुर से रामविलास पासवान नौ बार सांसद थे.

इस बीच, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सासाराम के सांसद रहे दिवंगत मुनिलाल की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए बीजेपी ने उनके बेटे शिवेश राम को सासाराम से चुनावी मैदान में उतार दिया है. अभी यहां से छेदी पासवान सांसद हैं, जिनका पार्टी ने इस बार टिकट काट दिया.

पूर्व सांसद सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर भी इस बार भूमिहार बहुल नवादा से चुनावी मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं. इधर, जदयू के नेता और बिहार के मंत्री अशोक चौधरी की सियासी विरासत को संभालने के लिए उनकी बेटी शांभवी चौधरी समस्तीपुर से मोर्चे पर डटी हुई हैं.

पिछले दिनों जदयू नेता महेश्‍वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है. कहा जाता है कि सन्नी समस्तीपुर से चुनाव लड़ सकते हैं. वैसे, बिहार में यह पहली मर्तबा नहीं है कि पिता की सियासी विरासत संभालने के लिए उनके पुत्र और पुत्रियां चुनावी मैदान में उतरे हैं. कई वर्तमान सांसद भी अपने पिता के राजनीतिक विरासत को ही आगे बढ़ा रहे हैं. इस चुनाव में तो कई पार्टियों ने अब तक अपने कोटे के सभी सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा भी नहीं की है.

बिहार में लोकसभा चुनाव के सभी सात चरणों में मतदान होना है. ऐसे में भले ही पिता की विरासत संभालने को लेकर पुत्र, पुत्रियां चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हों, लेकिन मतदाता किसे विरासत आगे बढ़ाने की अनुमति देते हैं, इसका पता तो चार जून को चुनाव रिज़ल्ट आने पर ही चलेगा.

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