आतंकी निज्जर की हत्या को लेकर भारत ने जस्टिन ट्रूडो के आरोपों को किया खारिज
ओटावा: खालिस्तान आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की मर्डर को लेकर हिंदुस्तान और कनाडा के संबंध में खटास आ गई है। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने नाइजर की मर्डर के लिए भारतीय एजेंटों को उत्तरदायी ठहराकर टकराव पैदा कर दिया है। लेकिन इस बयान के बाद ट्रूडो अब घर में ही घिर गए हैं। स्थानीय पंजाबियों का मानना है कि ट्रूडो के आरोपों के लिए घरेलू राजनीति उत्तरदायी है। इसके अलावा, खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत पन्नू को सिर्फ़ दो फीसदी सिखों का समर्थन प्राप्त है। दूसरी ओर, भारतीय मूल के पूर्व कनाडाई मंत्री उज्जवल दोसांज का दावा है कि खालिस्तान आंदोलन कनाडा तक ही सीमित रहेगा।
खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की मर्डर को लेकर जहां हिंदुस्तान ने जस्टिन ट्रूडो के आरोपों को खारिज कर दिया है, वहीं कनाडाई पत्रकारों और जानकारों का मानना है कि ट्रूडो के इल्जाम संदिग्ध हैं और घरेलू राजनीति अधिक उत्तरदायी है। कनाडा में खालिस्तान आंदोलन के मामले पर पत्रकारों और जानकारों का बोलना है कि इस आंदोलन के तार 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े हुए हैं। अब इसका इस्तेमाल घरेलू सियासी एजेंडे के लिए किया जा रहा है।
इसके अलावा, सियासी जानकारों का मानना है कि गुरपतवंत सिंह पन्नू और खालिस्तान समर्थकों को कनाडा में सिर्फ़ 1-2 फीसदी सिखों का समर्थन प्राप्त है। पत्रकार जयदीप सिंह ने बोला कि इस ऐतिहासिक संदर्भ का इस्तेमाल सियासी मामला उठाने के लिए किया जा रहा है। एक अन्य पत्रकार विक्रम चौधरी ने भी बोला कि ट्रूडो ने सियासी विवशता के अनुसार यह कदम उठाया है।
इस बीच, भारतीय मूल के कनाडाई मंत्री उज्जवल दोसांझ ने बोला कि ट्रूडो गवर्नमेंट ने सिख कट्टरपंथी तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करके हिंदुस्तान और कनाडा के बीच विश्वास खो दिया है जो एक मित्र राष्ट्र के टुकड़े करने का आह्वान कर रहे हैं। उज्जवल दोसांझ ब्रिटिश कोलंबिया के राष्ट्रपति थे। वह 2004-11 तक लिबरल पार्टी के सांसद भी रहे। उन्होंने 2004-06 तक कनाडा के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कार्य किया।
दोसांझ कट्टरपंथी सिखों के विरुद्ध बोलने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने बोला कि अब कनाडा और हिंदुस्तान के बीच विश्वास की कमी हो गई है। उन्होंने कनाडा में खालिस्तान आंदोलन के हिंदुस्तान तक फैलने की संभावना जताई है। उनका मानना है कि खालिस्तान आंदोलन केवल कनाडा तक ही सीमित रहेगा। खालिस्तान आंदोलन अब हिंदुस्तान या पंजाब में नहीं दिखता। यह अधिकांश विदेशों में देखा जाता है।
हालाँकि सिख कनाडा में एक बड़ा धार्मिक समुदाय नहीं हैं, लेकिन वे क्षेत्रीय राजनीति पर हावी हैं। इस बारे में दोसांझ का बोलना है कि यह तो साफ नहीं है कि राजनीति में उनका कितना दबदबा है, लेकिन जस्टिन ट्रूडो पर उनका असर जरूर है। उन्होंने सिख गुरुद्वारों में बने सदस्यों के दम पर ही अपना नेतृत्व हासिल किया है।
निज्जर की मर्डर में हिंदुस्तान की संलिप्तता पर दोसांझ ने बोला कि ट्रूडो अभी तक हिंदुस्तान के विरुद्ध सबूत नहीं दे पाए हैं, लेकिन यदि हिंदुस्तान ने ऐसा किया है तो यह गलत है। आप अपनी सीमाएँ पार करके दूसरे राष्ट्र में किसी की मर्डर नहीं कर सकते। हालाँकि, यह देखना बाकी है कि क्या गवर्नमेंट इस संबंध में आधिकारिक तौर पर कोई सबूत पेश कर पाती है या नहीं।