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छत्तीसगढ़ के लॉ स्टूडेंट्स के लिए खुशखबरी, अब 17 हजार 500 की जगह मात्र 125-750 रुपए में करवा पाएंगे रजिस्ट्रेशन

छत्तीसगढ़ में LLB की पढ़ाई पूरी करने के बाद वकालत प्रारम्भ करने वाले वकीलों को बड़ी राहत मिली है. उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद स्टेट बार काउंसिल ऑफ इण्डिया ने नामांकन फॉर्म फीस 17 हजार 500 रुपए से घटाकर 750 रुपए कर दिया है. इससे प्रदेश में लॉ की पढ़ाई कर वक

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छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल ने सामान्य और पिछड़े वर्ग के अधिवक्ताओं के लिए 750 रुपए, ST-SC के लिए नामांकन शुल्क 125 रुपए निर्धारित किया है. विशेष योजना के अनुसार नए अधिवक्ताओं का पंजीयन प्रारम्भ किया है. इससे पहले सामान्य और OBC वर्ग से 17 हजार 500, ST-SC वर्ग से 16 हजार फीस ली जाती थी. लॉ की पढ़ाई कर वकालत के लिए नामांकन कराने वाले विद्यार्थियों को मिलेगी राहत.

SC-ST वर्ग के विद्यार्थियों को सिर्फ़ 125 रुपए लगेंगे

छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल ने उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अब शुल्क में बदलाव किया है. ऐसे में अब SC-ST वर्ग के विद्यार्थियों को नामांकन नंबर प्राप्त करने के लिए सिर्फ़ 125 रुपए ही देने पड़ेंगे. 100 रुपए स्टेट बार काउंसिल छत्तीसगढ़ तो 25 रुपए बार काउंसिल ऑफ इण्डिया के नाम चालान के माध्यम से देने होंगे. सामान्य और OBC के विद्यार्थियों को 600 रुपए स्टेट बार और 150 रुपए बार काउंसिल ऑफ इण्डिया के नाम चालान से जमा करना है. 1 सितंबर 2024 से नए अधिवक्ताओं के नामांकन की प्रक्रिया घोषित की गई है.

काउंसिल ऑफ इण्डिया के आदेश को खारिज कर दिया

दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने गौरव कुमार की उस याचिका पर बार काउंसिल ऑफ इण्डिया के आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 24 के अनुसार नामांकन शुल्क के संबंध में आदेश जारी किया था. याचिका में केंद्र गवर्नमेंट और बार काउंसिल ऑफ इण्डिया को पक्षकार बनाया गया था.

सुप्रीम न्यायालय ने नामांकन फीस की राशि को गैरकानूनी माना

सुप्रीम न्यायालय ने बोला कि बार काउंसिल आफ इण्डिया के आदेश पर स्टेट बार काउंसिल नए अधिवक्ता के पंजीयन के लिए 17 हजार 500 रुपए की मोटी फीस वसूली की जा रही है. याचिका की सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने नामांकन फीस की राशि को गैरकानूनी माना है.

चीफ जस्टिस ने कहा- अधिक शुल्क पेशे में प्रवेश पर बाधा

याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बोला कि किसी आदमी की गरिमा में उसकी अपनी क्षमता का पूर्ण विकास करने का अधिकार है. इसमें अपनी पसंद का पेशा अपनाने और आजीविका कमाने का अधिकार भी शामिल है. ये सभी चीजें आदमी की गरिमा के अभिन्न अंग हैं. अत्यधिक पंजीकरण शुल्क और अन्य विविध शुल्क वसूलना कानूनी पेशे में प्रवेश में बाधा उत्पन्न करता है. उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद स्टेट बार काउंसिल ने नामांकन फीस कम करने अधिसूचना जारी कर दी है.

फीस में कमी से होगी 20 करोड़ 10 की बचत

बिलासपुर सहित प्रदेश मेंLLB, BA. LLB, B.COM LLB और LLM करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 12 हजार से अधिक है. बिलासपुर जिले में ही 5 कॉलेजों में 1 हजार 220 सीट है. जब विधि के विद्यार्थी ग्रेजुएट होते है और वकालत करना चाहते है तो उससे पहले उन्हें बिलासपुर उच्च न्यायालय परिसर में स्थित स्टेट बार काउंसिल के कार्यालय जाना पड़ता है.

जहां पहले 17500 रूपए के हिसाब से इन 12 हजार विद्यार्थियों से पंजीयन के नाम पर 21 करोड़ रूपए तक जमा होते थे. लेकिन अब शुल्क कम होने से बार काउंसिल के खाते में सिर्फ़ 90 लाख रूपए ही जाएंगें. जबकि विद्यार्थियों का 20 करोड़ 10 लाख तक बचत होगा.

अधिवक्ता संघों को भेज दी है जानकारी

स्टेट बार काउंसिल के सचिव अमित कुमार वर्मा ने बोला कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद स्टेट बार काउंसिल छत्तीसगढ़ ने विधि परीक्षा पास कर वकालत के पेश से जुडऩे के लिए पंजीयन कराने वालों से नामांकन फार्म के रूप में ली जाने वाल राशि को घटाकर अब सामान्य और ओबीसी के लिए 750 और एससी-एसटी वर्ग के लिए 125 रूपए शुल्क का निर्धारण किया है. प्रदेश के सभी अधिवक्ता संघ के अध्यक्षों और सचिवों को भी इसकी जानकारी दे दी गई है.

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