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बालू का ज्यादा रेट होने से हो रही परेशानी : ठेकेदार संघ

जिला परिषद में 15वीं वित्त आयोग मद की 160 में लगभग 60 योजनाओं का काम फंस गया है. टेंडर फाइनल होने के बाद भी संवेदक काम करवाने के लिए वर्क एग्रीमेंट कराने से कतरा रहे हैं. जबकि जिला परिषद प्रशासन एक-डेढ़ महीने ही टेंडर फाइनल कर चुका है. 15वीं वित्त मद बाकी 3 करोड़ की योजनाओं का काम प्रारम्भ नहीं हुआ. इनमें पीसीसी सड़क, नाली, सार्वजनिक तालाब में घाट निर्माण सहित अन्य काम शामिल हैं. इधर टेंडर फाइनल होने के बाद जिला परिषद अभियंता नरेंद्र कुमार ने संवेदकों को 16 अगस्त, 2024 तक काम प्रारम्भ करने का आदेश दिया है. वहीं सहायक अभियंता और कनीय अभियंताओं से टेंडर फाइनल होने के बाद भी काम प्रारम्भ नहीं होनेवाली योजनाओं का भौतिक निरीक्षण कर रिपोर्ट मांगी है. काम प्रारम्भ नहीं करनेवाले संवदेकों को चिह्नित कर ब्लैक लिस्ट तथा अगले टेंडर से वंचित करने, एग्रीमेंट नहीं होने से फंस चुके टेंडर की सुरक्षित राशि बरामद करने का आदेश दिया गया है.

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शारदा सिंह, जिप अध्यक्ष

जिला परिषद ठेकेदार संघ के अध्यक्ष आकाश रवानी का बोलना है कि बरसात में बालू का दर भागने और बिलो दर में काम लेने से घाटे को देखते हुए ठेकेदार एग्रीमेंट कराने से कतरा रहे हैं. ऑफलाइन में ठेकेदार समन्वय बनाकर टेंडर डालते थे. सबको कुछ न कुछ काम मिलता था. लेकिन अॉनलाइन प्रबंध नहीं है. जिला परिषद प्रशासन से मांग की गई है कि अन्य जिलों की तरह 60 लाख से नीचे के काम में अॉफलाइन प्रबंध लागू किया जाए.

जिला परिषद में लगभग 3 करोड़ की योजनाओं का काम प्रारम्भ नहीं हुआ है, ठेकेदार एग्रीमेंट क्यों नहीं करा रहे हैं.

– काम लेने के होड़ में ठेकेदार 20-25% बिलो दर में टेंडर भर रहा है. घाटे की वजह से एग्रीमेंट नहीं करा रहे हैं.

जिला परिषद की क्या योजना है

16 अगस्त तक काम प्रारम्भ नहीं होने पर ब्लैक लिस्ट करने का आदेश दिया गया है.

संवेदकों ने अन्य जिलों की तरह यहां भी निश्चित राशि तक का टेंडर ऑफलाइन करने की मांग की है

जिला परिषद में इसको लेकर विचार-विमर्श चल रहा है. जो भी उचित होगा किया जाएगा.

टेंडर फंसने की ये है बड़ी वजह

1. तय दर से 20-25% बिलो दर में काम लेना : संवेदकों ने काम लेने की होड़ में तय दर से 20-25% बिलो दर में टेंडर भरा है. राज्य गवर्नमेंट की नियमावली के अनुसार ऐसे टेंडर पेपर में एल-वन का ही चयन करना है. इस तरह संवेदकों को टेंडर तो मिलता है. लेकिन घाटे के कारण एग्रीमेंट करवाने से भागते हैं.

2. बरसात में ईंट-बालू की मूल्य महंगा होना :

बरसात में ईंट आैर बालू की अधिक है. संवेदकों का बोलना है कि दो गुना तीन गुना दर में बालू मिल रहा है. िबलो दर में काम लेने पर अधिक घाटा होगा. काम के ऐवज में हर टेबुल पर पैसा मांगा जाता है. िबलो दर वाले काम घाटे से संवेदक एग्रीमेंट करवाने से ही भागते हैं.

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