फतेहगढ़ साहिब में BSP की मीटिंग, पंजाब प्रधान गढ़ी पहुंचे, कहा…
फतेहगढ़ साहिब में बीएसपी की बैठक में मौजूद पदाधिकारी और कार्यकर्ता.
फतेहगढ़ साहिब में बसपा (BSP) की एक अहम बैठक पंजाब इकाई के प्रधान जसवीर सिंह गढ़ी की अध्यक्षता में संपन्न हुई. इस मीटिंग के साथ संगठन को मजबूत बनाने पर चर्चा की गई.
मीडिया से वार्ता करते हुए गढ़ी ने आम आदमी पार्टी पर खूब निशाना साधा. पंजाब में बिगड़े हालातों के लिए सीधे तौर पर आप को उत्तरदायी ठहराया और दलितों के मुद्दों को लेकर भी गवर्नमेंट को घेरा. गैंगस्टरवाद और नशों पर भी गढ़ी खुलकर बोले.
पुलिस की नाक तले पनप रहा गैंगस्टरवाद
उन्होंने बोला कि पुलिस की नाक तले गैंगस्टरवाद पनप रहा है. इसकी ताजा उदाहरण लॉरेंस बिश्नोई की खरड़ कारावास से हुई साक्षात्कार की रिपोर्ट है. कैसे पुलिस अफसरों ने कारावास के अंदर से साक्षात्कार कराया और फिर गवर्नमेंट इससे इनकार करती रही. गढ़ी ने बोला कि युवा किसान नेता नवदीप जलवेड़ा अंबाला कारावास काटकर आए. उनसे पूछा गया कि वहां कोई मोबाइल या नशा था.
नवदीप का उत्तर था कि अंबाला कारावास में मोबाइल या कोई नशीली वस्तु देखने को नहीं मिली. अब प्रश्न यह है कि अंबाला से मात्र 40 किलोमीटर दूर पटियाला ही ले लो, वहां प्रतिदिन कारावास से मोबाइल और नशा मिल रहा है. पंजाब की बाकी जेलों का भी यही हाल है. कुल मिलाकर पंजाब पुलिस और गवर्नमेंट पूरी तरह से फेल साबित हुई है. जो गवर्नमेंट 30 महीनों में राज्य का पक्का डीजीपी नहीं लगा सकी वो लॉ एंड आर्डर कैसे संभाल सकती है.
डेढ़ वर्ष केवल संगठन मजबूती को देंगे
जसवीर सिंह गढ़ी ने बोला कि आने वाले एक-डेढ़ वर्ष तक बसपा सिर्फ़ अपना संगठन मजबूत करने पर बल देगी. गांव-गांव जाकर नयी टीम बनेगी. फिलहाल किसी से गठबंधन करने या फिर उप चुनाव को लेकर कोई निर्णय नहीं है. इस पर आखिरी निर्णय हाईकमान ने लेना है. 2027 से पहले बीएसपी स्वयं को पंजाब में बड़े पैमाने पर मजबूत बनाने में जुटी है. इस मिशन को सफल बनाया जाएगा. इसके लिए हर ब्लाक और जिले से योगदान लिया जा रहा है.
एससी-एसटी रिजर्वेशन पर नहीं बोली आप और कांग्रेस
केंद्र में एससी-एसटी रिजर्वेशन को लेकर उठे टकराव पर गढ़ी ने बोला कि बाबा साहेब डा। भीमराव अंबेडकर ने दलित भाईचारे को एक मंच पर इकट्ठा किया. विभिन्न जातियों में बिखरे समाज को एससी-एसटी के मंच पर लाकर इकट्ठा किया गया. आज बीजेपी अदालतों के माध्यम से इसे तोड़ना चाहती है. बाबा साहेब की मेहनत को बिखेरना चाहती है.
इसके उल्टा आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी दलितों की वोट लेना चाहती है, लेकिन दलितों के मुद्दों पर आवाज नहीं उठाते. इस मामले पर भी आप और कांग्रेस पार्टी चुप रहे. मायावती ने इसका कठोर विरोध किया. इसके बाद राहुल गांधी ने दबाव में मामला उठाया. आज केंद्र गवर्नमेंट का जो निर्णय है वो बीएसपी की जीत है.