गिरिडीह में गरीबों के बीच बंटने वाले 26 करोड़ रुपये से अधिक के अनाज की कालाबाजारी
जनवितरण प्रणाली के माध्यम से गिरिडीह जिले में गरीबों में बंटने वाले अनाज की कालाबाजारी का मुद्दा सामने आया है। 26 करोड़ रुपये (3000 रुपये प्रति क्विंटल बाजार मूल्य के हिसाब से) से भी अधिक का अनाज कालेबाजार में बेच दिये जाने की संभावना जतायी जा रही है। दिशा की बैठक में कालाबाजारी का मुद्दा कई बार उठने पर डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने कमेटी गठित कर गोदामों का भौतिक सत्यापन कराया। सत्यापन में जो बात सामने आयी है, वह काफी चौंकाने वाली है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 86990.68 क्विंटल अनाज का लेखा-जोखा जिला प्रशासन को नहीं मिल रहा है। इसमें 51635.85 क्विंटल चावल और 35354.83 क्विंटल गेहूं है। यह अनाज कहां है, इसका क्या हुआ, इसका खुलासा जांच कमेटी ने अभी तक नहीं किया है। सूत्रों की मानें तो यह अनाज केंद्र गवर्नमेंट ने राज्य गवर्नमेंट को मौजूद कराया था। जनवितरण प्रणाली के माध्यम से गरीबों के बीच यह बंटना था। लेकिन आवंटन के खिलाफ अनाज राज्य गवर्नमेंट के गोदामों तक पहुंचा ही नहीं है। सूत्र बताते हैं कि गिरिडीह जिले में यह खेल लंबे समय से चल रहा है। इस खेल में शामिल लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से एक संगठित रैकेट के माध्यम से गरीबों के अनाज की कालाबाजारी की जा रही है। इसमें भारी मात्रा में चावल के साथ-साथ गेहूं भी है।
कार्डधारियों से डबल अंगूठा का निशान ले किया जा रहा समायोजन
सूत्रों का बोलना है कि जिस अनाज को बैकलॉग कहा जा रहा है, वह कालाबाजार में बेच दिया गया है। अनाज नहीं रहने के कारण अब रफा-दफा करने के लिए कार्डधारियों से डबल अंगूठा का निशान लेकर समायोजन का कोशिश किया जा रहा है। बैकलॉग के इस अनाज के समायोजन के लिए काफी दिनों से डबल अंगूठा का निशान लेने की प्रयास की जा रही है। कई स्थान कार्डधारियों और पीडीएस दुकानदारों के बीच नोक-झोंक हो चुकी है। ऑफिसरों ने जांच भी की। कई प्रखंडों में जांच में पुष्टि भी हुई, पर कोई ठोस कार्रवाई संबंधित लोगों पर नहीं की गयी। बता दें कि अप्रैल माह में ही बैकलॉग की जानकारी जिला प्रशासन को हुई थी। जिला प्रशासन ने झारखंड राज्य खाद्य निगम को जानकारी भी दी, लेकिन निगम के अधिकारी जांच के नाम पर टाल-मटोल करते रहे। स्थिति यह हुई कि कालाबाजारी में शामिल लोगों को बैकलॉग अनाज के समायोजन का काफी समय मिल गया। कार्डधारियों के बीच अनाज न बांटकर इन्होंने वितरण दिखाया और भारी मात्रा में बैकलॉग का समायोजन किया। यदि यह समायोजन नहीं हो पाता तो आंकड़े में और बढ़ोत्तरी होता।
बैकलॉग बताकर किया जा रहा गुमराह
सूत्रों का बोलना है कि साल 2017 से पीडीएस के अनाज की कालाबाजारी में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है। कोविड-19 काल में राज्य और केंद्र गवर्नमेंट दोनों ने ही गरीबों को अनाज देने की प्रबंध की। जहां राज्य गवर्नमेंट ने एक रुपये प्रति किलो की रेट से कार्डधारियों को अनाज आवंटित किया, वहीं केंद्र गवर्नमेंट ने भी निःशुल्क में प्रति यूनिट पांच किलो अनाज देने की प्रबंध की। यह कार्यकाल कालाबाजारियों के लिए स्वर्णिम रहा। कार्डधारियों को राज्य और केंद्र गवर्नमेंट द्वारा आवंटित दोनों तरह का अनाज न देकर केवल एक का दिया गया और डबल अंगूठा का निशान लेकर अधिकतर डीलरों ने अनाज की कालाबाजारी की। लेखा-जोखा में इस अनाज को छोड़कर जो अनाज हिंदुस्तान गवर्नमेंट के खाद्य निगम ने राज्य गवर्नमेंट के गोदामों के लिए भेजा, वह अनाज गोदामों में नहीं पहुंचा कर कालाबाजारी की गयी। जांच में जब यह बात सामने आयी है तो इसे बैकलॉग बताकर वरीय ऑफिसरों को गुमराह किया जा रहा है।
ट्रांसपोर्टिंग का फर्जी बिल देकर मोटी धनराशि की निकासी
एक तो गरीबों का अनाज कार्डधारियों तक पहुंचा नहीं, वहीं इसके ट्रांसपोर्टिंग खर्च की भी निकासी कर ली गयी। सूत्रों की मानें तो एफसीआइ से एसएफसी गोदाम तक अनाज पहुंचाने वाली ट्रांसपोर्टिंग एजेंसी के साथ-साथ डोर स्टेप डिलीवरी से जुड़े संवेदकों ने ट्रांसपोर्टिंग का फर्जी बिल देकर गवर्नमेंट के खाते से राशि की निकासी कर ली है। इस खेल में भी प्रखंड से लेकर जिले के कई अधिकारी शामिल हैं।
साढ़े बारह लाख क्विंटल अनाज प्रत्येक साल मिलता है जिले को
गिरिडीह जिले को औसतन साढ़े बारह लाख क्विंटल अनाज प्रत्येक साल मिलता है। इस तरह यहां के कार्डधारियों के लिए एनएफएसए के अनुसार लगभग 1.05 लाख क्विंटल से लेकर 1.10 लाख क्विंटल तक अनाज का आवंटन प्रत्येक माह प्राप्त होता है। कोविड-19 काल में लगभग दो वर्ष तक कार्डधारियों को केंद्र और राज्य गवर्नमेंट का अनाज मिलाकर दोगुना दिया जाता था। इस तरह कोविड-19 काल में गिरिडीह जिले को दो साल तक 25 लाख क्विंटल प्रत्येक साल की रेट से 50 लाख क्विंटल अनाज प्राप्त हुआ, लेकिन निर्धारित मात्रा में प्रत्येक माह काफी संख्या में कार्डधारियों को अनाज नहीं मिला और इनमें से काफी मात्रा में अनाज को कालाबाजार में बेच दिया गया।
कालाबाजारियों को सख्त दंड मिले : अन्नपूर्णा देवी
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सह कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना सहित गरीबों को खाद्य सुरक्षा मौजूद कराने के लिए चलायी जा रही योजनाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पर क्षोभ प्रकट किया है। उन्होंने बोला कि इस काले कारोबार के संबंध में केंद्र सरकार, राज्य गवर्नमेंट और जिला प्रशासन को अवगत कराया गया है। जब तक गरीबों के निवाले पर डाका डालने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई नहीं होती, वह चुप नहीं बैठेंगी। गरीबों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से मोदी गवर्नमेंट ने 17 दिसंबर 2016 को पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना की आरंभ की थी। कोविड-19 की विभीषिका के दौरान जन सामान्य और विशेषतः गरीबों को भुखमरी से बचाने में यह योजना अत्यधिक उपयोगी साबित हुई और अब तो केंद्र गवर्नमेंट ने इस योजना को पांच सालों का विस्तार देते हुए 2028 तक जारी रखने का निर्णय लिया है। राज्य गवर्नमेंट ने भी अपनी तरफ से पात्र लाभुकों को निःशुल्क खाद्यान्न देने की योजना प्रारम्भ की। काफी अफसोस के साथ यह बोलना पड़ता है कि गिरिडीह जिले में किसी भी महीने लाभुकों को एक साथ केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा प्रदत्त खाद्यान्न की सुविधा मिली ही नहीं।