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भारत और चीन के बीच आपसी संबंधों को लेकर रूस के राजदूत ने दिया एक बड़ा बयान

Russia Statement ahead G20 : हिंदुस्तान G-20 की तैयारियों में जुटा है पूरी दुनिया की निगाह नयी दिल्ली पर है इस बीच हिंदुस्तान और चीन के बीच आपसी संबंधों (India-China Relations) को लेकर रूस (Russia) के राजदूत ने एक बड़ा बयान दिया है रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव (Denis Alipov) ने बोला है कि रूस, हिंदुस्तान और चीन के बीच संबंधों में सुधार चाहता है और दोनों राष्ट्रों के साथ उसके संबंध बहुत अच्छे हैं ऐसे में यदि भारत-चीन के बीच आपसी संबंध ठीक रहेंगे तो सभी को इसका लाभ होगा

चीनी नक्शा टकराव पर नहीं दी तवज्जो

बीजिंग द्वारा अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन के साथ-साथ ताइवान और दक्षिण चीन सागर पर क्षेत्रीय दावा करने वाले तथाकथित ‘मानक मानचित्र’ जारी किए जाने के प्रश्न पर अलीपोव ने मुद्दे को तवज्जो नहीं दी उन्होंने बोला कि

रूसी राजदूत के बयान पर चीन को लग जाएगी मिर्ची

चीनी नक्शे के टकराव को तूल न देते हुए रूसी राजदूत ने कहा ‘लोग भारत-चीन सीमा (India China border) को लेकर तरह-तरह की बातें कर रहे हैं लेकिन आपकी जानकारी के लिए मैं यह बड़ी बता दूं कि रूस-चीन सीमा (Russia China Border) पर भी कुछ विसंगतियां हैं हम चीनी पक्ष के साथ इस मामले को तूल नहीं देते और जैसा कि हमने देखा है कि हिंदुस्तान भी इस मामले को तूल देने से बचता है

भारत-रूस के गहरे रिश्ते

फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया के एक सत्र में अलीपोव ने कहा, ‘भारत और रूस द्वारा स्थापित मौजूदा रुपया-रूबल तंत्र भारतीय वित्तीय समुदाय और बैंकों के भीतर द्वितीयक प्रतिबंधों और अन्य परिणामों के डर के कारण ठीक से काम नहीं कर रहा है

अलीपोव ने रूस द्वारा S-400 वायु रक्षा प्रणालियों की डिलीवरी में देरी को स्वीकार करते हुए बोला कि दोनों पक्षों ने एक नयी समय सारिणी तैयार की है जिसका सावधानी से पालन किया जा रहा है

रूस-यूक्रेन टकराव पर बयान

अलीपोव ने ये भी बोला कि जी-20 की अध्यक्षता कर रहे हिंदुस्तान को कुछ राष्ट्रों के मजबूत दबाव का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने यूक्रेन संकट का इस्तेमाल करके एजेंडा को हाईजैक कर लिया है रूस जी-20 के भीतर सियासी मुद्दों पर चर्चा को स्वीकार नहीं करता है और जिन विषयों पर आम सहमति नहीं है, उन्हें सूची से हटा दिया जाना चाहिए ताकि समूह जलवायु परिवर्तन, सतत विकास और वित्तीय और खाद्य संकट जैसे सामयिक मामलों पर चर्चा हो सके

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