65 सहायता समूह ने एक साल में की 12 लाख से अधिक की कमाई
शिमला । जापान तरराष्ट्रीय योगदान एजेंसी यानी जाइका वाणिकी परियोजना से पहाड़ की स्त्रियों को रोजगार के बेहतर अवसर मिल रहे हैं। प्रदेश में मशरूम की खेती करने के लिए स्वयं सहायता समूहों की सहायता की जा रही है। कहा गया कि 65 स्वयं सहायता समूह ने एक साल के अतंराल में 12 लाख से अधिक की कमाई की। यह अपने आप में रिकार्ड भी है। हिमाचल प्रदेश वन परिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन एवं आजीविका सुधार परियोजना प्रदेश के 18 वन मंडलों के 32 फोरेस्ट रेंज में प्रोजेक्ट के माध्यम से मशरूम की खेती की जा रही है। जाइका के माध्यम से प्रदेश के 65 स्वयं सहायता समूहों को हर मौसम में मशरूम की खेती करने के ढंग बताए जा रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बटन मशरूम, शिटाके मशरूम और ढिंगरी मशरूम से आज स्त्रियों के साथ-साथ पुरूष भी आजीविका कमा रहे हैं। शिमला के कांडा में स्वयं सहायता समूह को उनके गांव में जाइका वानिकी परियोजना के कर्मचारियों और जानकारों द्वारा बटन मशरूम की खेती के लिए प्रोत्साहित किया। ग्रुप ने किराए के कमरे में 10 किलोग्राम के 245 बीज वाले कम्पोस्ट बैग के साथ बटन मशरूम का उत्पादन प्रारम्भ किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार बटन मशरूम के उत्पादन में सेल्फ हेल्प ग्रुप की स्त्री सदस्यों के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की गई। जिस वजह से 25 दिनों के बाद बटन मशरूम का उत्पादन प्रारम्भ हुआ और एक सप्ताह में ग्रुप ने 200 किलोग्राम मशरूम तैयार किया, जो 150 से 180 रुपये प्रति किलोग्राम की मूल्य पर मिल रहा है।
बटन मशरूम के साथ-साथ ढींगरी और शिताके मशरूम की प्रजातियों की अधिक मांग है। इसको ध्यान में रखते हुए समूह में मशरूम उगाने में विविधता लाने के कोशिश जारी है। जिला मंडी के सुंदरगनर के वन मंडल सुकेत में 19 स्वयं सहायता समूह हैं, जो मशरूम की खेती कर आजीविका कमा रहे हैं। कहा गया कि इन सहायता समूह ने पिछले एक वर्ष में आठ लाख रुपये की कमाई की है। जाइका की ओर से मशरूम की ट्रेनिंग के लिए विभिन्न स्थानों पर कृषि विज्ञान केंद्रों की सेवाएं ली जा रही है।
59 ग्रुप ने पहली बार की मशरूम की खेती
प्राप्त जानकारी के अनुसार 65 में से 59 ऐसे ग्रुप हैं, जो पहली बार मशरूम की खेती कर रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से स्त्रियों के 45 ग्रुप और ग्रुप पुरूष के हैं, जबकि 12 ग्रुप स्त्री एवं पुरूष का मिश्रण हैं। उल्लेखनीय है कि जाइका प्रोजेक्ट के अनुसार प्रदेश में लोगों को आजीविका कमाने का बेहतर मौका मिल रहा है। इसके माध्यम में लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। मशरूम की खेती को बढ़ावा देने एवं हर मौसम में भिन्न-भिन्न प्रजाति के मशरूम तैयार करने के लिए कलस्टर तैयार किया जा रहा है।
शक्ति एसएचजी में एक दिन में तैयार किया 20 किलो मशरूम
जिला शिमला के जुब्बल रेंज के अनुसार शक्ति स्वयं सहायता समूह ने एक दिन में 20 किलोग्राम मशरूम तैयार किया। यह बटन मशरूम है और 170 रूपये प्रति किलो के हिसाब में इसकी मूल्य मिल रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार शक्ति स्वयं सहायता समूह की स्त्रियों ने गत बुधवार को 20 किलोग्राम मशरूम तैयार किया। ऐसे में जाहिर है कि मशरूम की खेती कर आज स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपनी आर्थिकी को और भी मजबूत कर रही हैं।
जाइका प्रोजेक्ट के माध्यम से आज हिमाचल की महिलाएं अपनी आर्थिकी में सुधार करने लगी हैं। स्वयं सहायता समूहों के अनुसार जुड़े ऐसी स्त्रियों ने बटन मशरूम, शिकटाके मशरूम और ढिंगरी मशरूम की खेती कर अच्छी कमाई कर रही हैं। प्रदेश में हर मौसम के अनुसार तैयार होने वाले मशरूम की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। आने वाले समय में ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने केल हम कृतसंकल्प हैं।
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