मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव हो सकते है साल के अंत में...

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव हो सकते है साल के अंत में...

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव वर्ष के अंत में हो सकते हैं ऐसे में इन चुनावों के लिए साम, दाम, दंड, भेद यानी जो भी करना पड़े उसके लिए सियासी पार्टियां तैयार हैं प्रदेश में सत्ता पर आसीन बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी ने एक दूसरे के नेताओं पर नजर टिका रखी है ये वो नेता हैं जो अपने दल में दरकिनार कर दिए गए हैं या अपने दल से असंतुष्ट चल रहे हैं 

साल 2018 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी और भाजपा के बीच कड़ी भिड़न्त नजर आई थी इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 114 सीटों पर जीत मिली थी और भाजपा को 109 सीटें मिली थीं 5 सीटें अधिक होने की वजह से कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश में गवर्नमेंट बनाई थी हालांकि, कांग्रेस पार्टी अधिक दिन तक सत्ता में नहीं रह सकी और महज 15 महीने बाद ही बीजेपी सत्ता पर काबिज हो गई 

दरअसल, इस दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत की और अपने साथ कई नेताओं को लेकर बीजेपी का दामन थाम लिया, इस वजह से कांग्रेस पार्टी की गवर्नमेंट ध्वस्त हो गई इस बार के चुनाव में कांग्रेस पार्टी पूरी बहुमत के साथ गवर्नमेंट में आने की प्रयास में है हालांकि, दोनों ही पार्टियां दल-बदल के मुद्दे में आगे हैं राज्य में नेताओं के पाला बदले जाने की आरंभ भी हो चुकी है 

दोनों ही पार्टियों में असंतुष्ट नेताओं की भरमार है और दोनों की पार्टियां अपने विरोधी खेमे के असंतुष्ट नेताओं पर नजर गड़ाए हुए हैं कांग्रेस पार्टी और भाजपा इन नेताओं के सहारे अपना जनाधार मजबूत करना चाहते हैं

बीते हफ्ते में ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ अशोकनगर में बीजेपी को बड़ा झटका लगा वरिष्ठ नेता यादवेंद्र सिंह यादव ने समर्थकों के साथ कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया यादवेंद्र सिंह के पिता 3 बार भाजपा विधायक रह चुके हैं उन्हें यादव समाज का बड़ा नेता माना जाता है

इधर, राजगढ़ से कांग्रेस पार्टी की लोकसभा में उम्मीदवार रही मोना सुस्तानी ने कांग्रेस पार्टी को झटका देते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया ऐसे में भाजपा की तरफ से कांग्रेस पार्टी को नहले पर दहला मिला साथ ही मायावती की पार्टी बसपा की पूर्व विधायक उषा चौधरी भी बीजेपी में शामिल हो गईं