अपनी ही पार्टी को कमजोर करने का इतिहास रहा है अशोक गहलोत का: सतीश पूनिया

जयपुर. राजस्थान बीजेपी प्रमुख सतीश पूनिया का बोलना है कि राज्य के अतीत से वाकिफ लोग इस बात से सहमत होंगे कि सीएम अशोक गहलोत का अपनी ही पार्टी को कमजोर करने का इतिहास रहा है.
हर बार जब उन्होंने सीएम के रूप में राज्य की बागडोर संभाली, तो उनकी गवर्नमेंट के विरूद्ध सत्ता विरोधी लहर काफी बढ़ गई, जिससे पार्टी को कम सीटें मिलीं. 2003 में कांग्रेस पार्टी को 56 सीटें मिलीं जो 2013 में घटकर 21 रह गईं. लेकिन भाजपा के मुद्दे में ऐसा नहीं है. हमने अच्छा स्कोर बनाए रखा है. 2003 में हमने 78 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस पार्टी को 96 और 2018 में भाजपा को 73 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस पार्टी को 99 सीटें.
पूर्व सीएम सचिन पायलट की भविष्य की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर, पूनिया ने कहा, सचिन पायलट अभी हमारे कार्ड में नहीं हैं.
ईआरसीपी, संजीवनी घोटाला आदि जैसे गहलोत द्वारा उठाए गए मामलों पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, पूनिया ने कहा, मुख्यमंत्री पार्टी की अंदरूनी कलह और अपनी गवर्नमेंट की विफलताओं को कवर करने में असमर्थ हैं और इसलिए इस तरह के मामले बनाए हैं.
राजस्थान में नेताओं के बीच वैचारिक युद्ध होते रहे हैं लेकिन सियासी प्रतिशोध कभी नहीं हुआ. हालांकि इन दिनों मुख्यमंत्री अपने बेटे वैभव गहलोत की हार के बाद जानबूझकर इस प्रतिशोध में शामिल नजर आ रहे हैं.
पूनिया ने कहा, चुनाव के दौरान अब संजीवनी का मामला क्यों उठाया जा रहा है? जब एजेंसी मुद्दे की जांच कर रही है तो मुख्यमंत्री एसओजी की तरह केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मां पर आरोप क्यों लगा रहे हैं? ये सभी प्रश्न इशारा करते हैं कि मुख्यमंत्री हार चुके हैं.
राज्य में नेता प्रतिपक्ष के पद की अभी तक खाली पड़ी सीट पर बीजेपी नेता पूनिया ने कहा, इस मामले को केंद्रीय नेतृत्व उठा रहा है. यहां तक कि सत्ताधारी गवर्नमेंट में भी डिप्टी स्पीकर का पद पिछले साढ़े चार वर्ष से खाली पड़ा है. इसलिए यह कोई बड़ा मामला नहीं है. फिलहाल, हमें 2023 के विधानसभा चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.
राजस्थान में सीएम के चेहरे के प्रक्षेपण के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बोला कि सभी वरिष्ठ नेताओं ने निर्णय किया है कि पार्टी सामूहिक नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी. वर्तमान परिस्थितियों में, ऐसा लगता है कि कोई मुख्यमंत्री चेहरा नहीं होगा, बाकी शीर्ष नेतृत्व तय करेगा.
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के जन्मदिन कार्यक्रम पर शक्ति प्रदर्शन और चार मार्च को राज्य के सांगठनिक विरोध से टकराने के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, वैसे शनिवार को विधानसभा की छुट्टी थी, इसलिए हमने तारीख तय की थी. राजे के जन्मदिन पर प्रमुख कार्यक्रम के बारे में जानकारी नहीं थी, केवल इतना पता था कि यह मंदिर में प्रार्थना तक सीमित रहेगा.
बताया जा रहा है कि इस मौके पर 55 विधायक उपस्थित थे, लेकिन उन्होंने बोला कि 73 में से 25 विधायक यहां हैं. हमने कभी किसी विधायक पर कोई दबाव नहीं डाला. वे जहां जाना चाहते थे वहां जाने के लिए स्वतंत्र थे.
पूनिया ने आगे बोला कि राजस्थान में भाजपा की ताकत आरएसएस और सहयोगी संगठन हैं. उन्होंने कहा, आदिवासी क्षेत्रों में, हमारे पास कभी कोई उम्मीदवार नहीं है, हालांकि, इन संगठनों ने वहां मजबूत आधार बनाया है और पार्टी को मजबूत करने में सहायता कर रहे हैं. किसान संघ और वनवासी संघ जैसे संगठनों की एक मजबूत किरदार है.
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह के बाड़मेर में मुलाकात से बन रहे नए समीकरणों पर उन्होंने कहा, ‘पुरी के जसवंत सिंहजी और परिवार के साथ मधुर संबंध हैं. हालांकि, यदि घनश्याम तिवारी वापस आ सकते हैं, तो अन्य नेता भी आ सकते हैं.’
पूनिया ने प्रवासी राजस्थानियों के बारे में भी बताया, जिनसे वह राष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में मिलते रहे हैं. राज्य के दो करोड़ लोग दूसरे राज्यों में रह रहे हैं और उन्होंने उनमें से कई लोगों से मुलाकात की है, उन्होंने बोला कि उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त की है और मारवाड़ से बेंगलुरु, वेन्नई और कोलकाता के लिए ट्रेन कनेक्टिविटी चाहते हैं. पूनिया ने बोला कि रेल मंत्री से भी बात की है और वह इस पर गौर कर रहे हैं.
वे दूसरे राज्यों में रहते हैं लेकिन यहां वोट डालने के लिए राजस्थान आते हैं. उन्होंने कहा, वे सभी यहां कमल खिलते देखना चाहते हैं और मोदी 2024 में लोकसभा चुनाव में पीएम के रूप में वापसी करेंगे. और हम इसे सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक रूप से काम करेंगे. जनता 2023 में कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट को उखाड़ फेंकेगी.