लेटैस्ट न्यूज़

निर्भया एक रेप केस था, यह उससे भी भीषण; CJI बोले…

मणिपुर में स्त्रियों के साथ यौन उत्पीड़न और अत्याचार की घटनाओं पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कठोर रवैया अपनाया है. उन्होंने अत्याचार के मामलों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय की नज़र में एक समिति के गठन की भी बात कही. उन्होंने बोला कि इन मामलों की जांच के लिए CBI और एसआईटी पर ही भरोसा करना काफी नहीं होगा. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लोगों को इन्साफ मिल सके. पहले ही काफी समय गुजर चुका है. तीन महीने बीत चुके हैं और लोग अब तक इन्साफ के प्रतीक्षा में हैं. कोई प्रक्रिया तक प्रारम्भ नहीं हुई है.

चीफ जस्टिस ने अत्याचार और यौन उत्पीड़न के मामलों को निर्भया मुकदमा से अधिक गंभीर बताया. उन्होंने बोला कि यह निर्भया मुकदमा जैसी स्थिति नहीं है, जिसमें एक गैंगरेप हुआ था. वह भी भयंकर था, लेकिन यह बिल्कुल अलग मुकदमा है. हम यहां व्यवस्थागत अत्याचार से निपटने की बात कर रहे हैं, जिस पर आईपीसी में एक अलग ही क्राइम माना गया है. इसलिए हमें प्रशासन में लोगों का भरोसा जताने के लिए न्यायालय द्वारा नियुक्त एक समिति बनानी होगी. इसमें वे लोग शामिल होंगे, जिनका कोई सियासी जुड़ाव किसी से नहीं है. उन्होंने बोला कि इस समिति में कुछ जजों को शामिल किया जाएगा, जिनमें स्त्री और पुरुष दोनों शामिल होंगे.

मणिपुर मुकदमा के बीच बांसुरी स्वराज ने उठा दिया बंगाल का मसला; CJI भड़के

उन्होंने इस दौरान केंद्र गवर्नमेंट से पूछा कि आखिर उसने अत्याचार में उजड़े लोगों को दोबारा बसाने के लिए क्या कोशिश किए हैं. उनके घरों को बनाने के लिए कितने का पैकेज जारी किया गया है. उच्चतम न्यायालय ने बोला कि हमारा दखल इस बात पर निर्भर करेगा कि गवर्नमेंट के कोशिश कितने और कैसे रहे हैं.

यदि हम गवर्नमेंट के प्रयासों से सहमत हुए तो फिर दखल की आवश्यकता नहीं होगी. चीफ जस्टिस ने इस दौरान प्रश्न किया कि आखिर 4 मई की घटना को लेकर 18 मई को ही मुकदमा क्यों दर्ज किया गया. इतने दिनों तक पुलिस आखिर क्या कर रही थी. मुद्दा तब सामने आया, जब एक वीडियो में दिखा कि दो स्त्रियों को न्यूड कर घुमाया गया और उनका बलात्कार हुआ. इस दौरान पुलिस क्या कर रही थी.

Related Articles

Back to top button