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चकबंदी की समस्या से परेशान बाढ़ड़ा विधानसभा गांव के लोग मतदान से बना चुके दुरी

प्रदेश में लोकसभा चुनाव के मतदान का समय बहुत निकट आ चुका है. पांच वर्ष में आने वाले इस चुनावी महापर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह भी देखने को मिल रहा है. इसके उल्टा चकबंदी की परेशानी से परेशान बाढ़ड़ा विधानसभा के गांव माई खुर्द के लोग मतदान से दूरी बनाने का पूरी तरह से मन बना चुके है. इसके लिए उन्होंने ग्राम पंचायत की आमसभा में प्रस्ताव पहले ही पास कर दिया था और अब डोर टू डोर जाकर पंचायत के इस निर्णय से ग्रामीणों को अवगत करवा रहे हैं. सरपंच कृष्ण कुमार का बोलना है कि जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक ऑफिसरों से मिलने की बाद उनकी मांग पर गौर नहीं फरमाया गया तो वे इस प्रकार का फैसला लेने को विवश हुए हैं.

गांव माई खुर्द सरपंच कृष्ण कुमार शर्मा ने कहा कि बीते गांव की चकबंदी का कार्य हरसैक कंपनी द्वारा गांव की सहमति के बिना करवाने का पत्र ग्राम पंचायत को प्राप्त हुआ था. जिसके बाद ग्रामीणों में इसको लेकर रोष था और उन्होंने बैठक कर चकबंदी कार्य को मैनुअल करवाने पर सहमती जताई थी. जिस पर होने वाले खर्च को पूर्ण रूप से वहन करने में ग्रामीण तैयार हैं. उन्होंने कहा कि जून 2023 को चकबंदी का रिकॉर्ड हरसैक कंपनी को दिया गया था लेकिन फील्ड पर कोई काम नहीं हुआ. सरपंच ने कहा कि इसको लेकर वे क्षेत्रीय सांसद धर्मबीर सिंह, विधायक नैना चौटाला, जिला उपायुक्त और भू-राजस्व और चकबंदी से संबंधित ऑफिसरों से मिले लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली . जिसके चलते चकबंदी का कार्य अधर में हैं और ग्रामीणों को रास्तों से संबंधित और दूसरी समस्याओं को सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों की मांग पर संज्ञान नहीं लिए जाने पर बीते 24 अप्रैल को आमसभा की बैठक आयोजित कर प्रस्ताव पास किया गया था जिसमें सभी ने फैसला लिया था कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं की जाएगी वे लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मतदान नहीं करेंगे. गांव माई खुर्द सरपंच कृष्ण कुमार शर्मा ने कहा कि 24 अप्रैल को आम सभा में मतदान नहीं करने का प्रस्ताव पास किया गया था. जिसमें उनके साथ गांव के सभी 7 पंचों ने सहमति जताई थी. उन्होंने बोला कि ग्राम पंचायत अपने इस फैसला पर अड़िग है और वर्तमान में डोर टू डोर जाकर गांव के मौजिज लोग ग्रामीणों से मतदान नहीं करने की अपील कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त गांव में चुनाव प्रचार के दौरान किसी सियासी दल के कार्यक्रम भी आयोजित नहीं हुए हैं. उन्होंने बोला कि गांव में करीब 1000 वोट हैं और कोई ग्रामीण मतदान नहीं करेगा.

गांव में हैं 800 एकड़ जमीन

सरपंच कृष्ण कुमार ने कहा कि उनके गांव में करीब 800 एकड़ जमीन है. उनके साथ लगते और आसपास के दूसरे गांवों में चकबंदी का कार्य हो चुका है, लेकिन आज तक उनके गांव में चकबंदी नहीं हुई है जिससे ग्रामीणों को आने-जाने के रास्ते सहित दूसरी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. बाढ़ड़ा विधानसभा क्षेत्र के ही गांव दातौली में बीते चुनाव के दौरान मतदान का बहिष्कार देखने को मिला था. लंबे समय से चली आ रही पेयजल परेशानी से परेशान ग्रामीणों ने उनकी परेशानी का निवारण नहीं होने पर मतदान से दूरी बना ली थी.

डीसी से इसको लेकर की है बात : एसडीएम

बाढ़ड़ा एसडीएम सुरेश कुमार ने बोला कि मुद्दे को लेकर डीसी से बात की गई है उन्होंने जल्द परेशानी का निवारण करवाने का आश्वासन दिया है. एसडीएम ने बोला कि मतदान नहीं करना किसी परेशानी का निवारण नहीं है. चुने हुए प्रतिनिधि ही उनकी समस्याओं को हल करवाने में सहायता करेंगे इसलिए मतदान करना चाहिए. उन्होंने ग्रामीणों से अपील की है कि लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के लिए मतदान अवश्य करें.

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