मालवा उत्सव के आखरी दिन लोगों ने उठाया लुत्फ, मंत्रमुग्ध हुए दर्शक
मालवा उत्सव का मंगलवार को समाप्ति हुआ. आखरी दिन बड़ी संख्या में दर्शक यहां पहुंचे. शिल्प मेले के साथ ही सांस्कृतिक नृत्यों का भी दर्शकों ने खूब लुत्फ उठाया.
जिस भव्यता के साथ गिरते पानी में भी नृत्य की बानगी देखने को मिली थी, आखरी दिन भी वही भव्यता निरंतरता और उत्साह लोगों में दिखाई दिया.मंगलवार को जब भव्य मंच से घोषणा की गई कि आज मालवा उत्सव का समाप्ति दिवस है तो मौजूद दर्शकों की भावना थी कि यह उत्सव बहुत शीघ्र खत्म हो गया है. लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने प्रतिदिन कलाकारों का उत्साह बढ़ाने के लिए मंच पर आकर लोक कलाकारों का स्वागत और अभिनंदन किया और आज इंदौर की जनता को मालवा उत्सव को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया और शुभकामना दी.लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि लालबाग परिसर में हर तरफ शिल्प खरीदने की निहारने की जल्दबाजी नजर आ रही थी. कोई झूला झूल कर घर जाना चाहता था तो कोई शिल्प बाजार से अपने पसंद की वस्तु घर ले जा रहे थे. एक तरफ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रंगारंग चकाचौंध थी तो दूसरी तरफ फूड स्टॉल पर इंदौरी रंग चढ़ा था. मालवी जायके के साथ संपूर्ण भारतवर्ष के जायके का स्वाद लेकर लोग चटकारे ले रहे थे
अंतिम दिन हुए कई सांस्कृतिक नृत्य
लोक संस्कृति मंच के स्वाती दीपक लंवगड़े एवं बंटी गोयल ने कहा कि आज सांस्कृतिक कार्यक्रम में कोरकू जनजाति द्वारा गदली नृत्य जो की शादी, त्योहार, खुशी के मौके पर किया जाता है. कलाकार मर्दों ने सफेद कुर्ता धोती एवं काला जैकेट सर पर पगड़ी, कलंगी पहनकर तो स्त्रियों ने लाल साड़ी और हाथ में चितकोरी लेकर घूम-घूम कर नृत्य किया. मध्य प्रदेश का गुडूम बाजा में तो जिसमें सफेद धोती लाल कुर्ता और उसके ऊपर कौड़ियों की जैकेट पहनकर ढोल टीम की के साथ में किया गया नृत्य बड़ा खूबसूरत था.
माता की आराधना करने हेतु किया जाने वाला गुजरात का गरिया एवं सुख दुख के समय किया जाने वाला गुजरात का मेवासीभील नृत्य भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें खत्री देव की आराधना की गई. आशा अग्रवाल की गंधर्व अकेडमी द्वारा मयूर नृत्य प्रस्तुत किया गया. इसमें कलाकार मोर का रूप धारण कर सुंदर नृत्य प्रस्तुत कर रहे थे. यह नृत्य राधा और कृष्णा को समर्पित लोक नृत्य है, जो की ब्रज में एवं विश्व में मयूर लीला के नाम से जाना जाता है वही मयंक शर्मा एवं साथियों ने भी अपनी प्रस्तुति दी.
लोक कलाकार एवं शिल्पियों का किया उत्साह वर्धन
लोक संस्कृति मंच के संकल्प वर्मा एवं पवन शर्मा ने कहा कि अपने सुख-दुख की बातें गांव की महिलाएं जब कुएं पर पानी भरने जाती है करती रहती है उसी का भावपूर्ण प्रदर्शन पनिहारी नृत्य में प्रस्तुत हुआ. निमाड़ अंचल का गणगौर नृत्य जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए गणगौर की पूजा करती है और माथे पर गणगौर रखकर नृत्य करती नजर आई. समाप्ति अवसर पर इंदौर नगर पालिका निगम महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी मौजूद हुए. उन्होंने देवी अहिल्या के 300वे जन्म जयंती कार्यक्रम पर आयोजित मालवा उत्सव की सराहना की एवं लोक कलाकार एवं शिल्पियों का उत्साह वर्धन किया. इस अवसर पर लोक संस्कृति मंच के सतीश शर्मा, कंचन गिदवानी, मुद्रा शास्त्री, विशाल गिदवानी, कपिल जैन, रितेश पिपलिया, दिलीप शारदा, निवेश शर्मा, मुकेश पांडे, जुगल जोशी, राजेश बिहानी, विकास केतेले उपस्थित थे.