हेमंत सोरेन ने जेल प्रशासन से रात में दूध, रोटी और फूलगोभी की सब्जी खाने की जताई इच्छा
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अरैस्ट पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गुरुवार की शाम 4:55 बजे होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा लाया गया। उन्हें अपर डिवीजन सेल के बी ब्लॉक के एक नंबर सेल में रखा गया है। उन्होंने कारावास प्रशासन से रात में दूध, रोटी और फूलगोभी की सब्जी खाने की ख़्वाहिश जतायी। उस सेल के बगल में पूर्व विधायक राजा पीटर भी रह चुके हैं। पहले उन्हें राजा पीटर वाले सेल में रखा जाना था, लेकिन उसमें सीपेज होने के कारण हेमंत सोरेन को अपर डिवीजन सेल एक नंबर में रखा गया। इसके पहले भारी सुरक्षा के बीच ट्रैफिक पुलिस हुटर बजाते हुए हेमंत सोरेन को लेकर कारावास पहुंची। प्रवर्तन निदेशालय के ऑफिसरों के चार वाहनों को भी पुलिस स्कॉट कर रही थी। इसके बाद इडी टीम की कार (जेएच 01 डीजी-0835), जिसमें हेमंत सोरेन बैठे थे, उसे केंद्रीय कारा परिसर में ले जाया गया।
ईडी ने मांगी 10 दिनों की रिमांड, इस पर दो फरवरी को फैसला
मालूम हो कि रांची के बड़गाई अंचल स्थित 8.46 एकड़ जमीन को लेकर हुए मनी लाउंड्रिंग मुद्दे में हेमंत सोरेन को 31 जनवरी 2024 की रात को अरैस्ट किया गया था। प्रवर्तन निदेशालय ने मुद्दे में अरैस्ट आरोपी निवर्तमान सीएम हेमंत सोरेन को गुरुवार को पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश दिनेश राय की न्यायालय में दोपहर 2.32 बजे पेश किया। सुनवाई 4.26 बजे तक चली। इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत से पूछताछ के लिए न्यायालय से 10 दिनों की रिमांड मांगी। रिमांड पर निर्णय के लिए दो फरवरी की तिथि निर्धारित है।
ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल कुमार ने और हेमंत सोरेन की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बहस की। बहस पूरी होने के बाद न्यायालय ने हेमंत सोरेन को न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, होटवार (रांची) भेज दिया। बता दें कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी प्रवर्तन निदेशालय की ईसीआइआर संख्या आरएनजेडओ/25/23 मुद्दे में की गयी है। इडी ने यह ईसीआइआर सदर पुलिस स्टेशन में राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप प्रसाद के विरुद्ध दर्ज प्राथमिकी के आधार पर की थी। प्रवर्तन निदेशालय ने मुद्दे की प्रारंभिक जांच में पाया था कि बड़गाईं अंचल में डीएवी बरियातू के पीछे 8.45 एकड़ जमीन पर तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन का कब्जा है।
हेमंत के पैरवीकार महाधिवक्ता राजीव रंजन ने न्यायालय में बोला –
यह मुकदमा एकदम ही मनगढ़ंत हैं। यह लोकतांत्रिक ढंग से चुने गये सीएम को हटा कर उनकी गवर्नमेंट गिराने की षड्यंत्र है। किसी ने कह दिया कि मेरे नाम पर आठ एकड़ जमीन है, तो क्या वह जमीन मेरा हो जायेगा। वह भुईंहरी जमीन है। इस जमीन का ट्रांसफर नहीं हो सकता है। उस जमीन पर हमारा कब्जा भी नहीं है। वह जमीन हमारे नाम पर भी नहीं है। इसका कोई म्यूटेशन रिकॉर्ड हमारे नाम पर नहीं है। राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप प्रसाद के मुद्दे में जो मुकदमा इडी ने राज्य गवर्नमेंट से साझा किया है, उसमें बोला गया है कि यहां से टेंपरिंग के रिकॉर्ड मिले हैं। उसमें हमारा नाम नहीं है, जबकि उसके आधार पर एफआइआर दर्ज हुआ है।
ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल कुमार ने कहा-
मुख्यमंत्री रहते हेमंत सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग किया है। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से समन देने के बाद भी नहीं आते थे। कोई न कोई बहाना बना देते थे। अंत में 27 से 31 जनवरी के बीच में जब इनसे समय मांगा गया, तो 28 जनवरी की शाम तक बिना कोई सूचना दिये दिल्ली चले गये। इनके दिल्ली स्थित घर से 36 लाख रुपये बरामद हुए हैं। कई डॉक्यूमेंट्स भी बरामद हुए हैं। सीएम को अपनी बात बताने के लिए कई अवसर दिये गये, लेकिन वह समन को नजरअंदाज करते रहे। रांची पुलिस ने प्राथमिकी में से धारा 120बी को हटा दिया था। इस संबंध में चीफ सेक्रेटरी को कई बार कहा गया, लेकिन उन्होंने कोई प्राथमिकी नहीं करायी। जब हेमंत सोरेन सीएम नहीं रहे, तो ऐसे में महाधिवक्ता के उनके पक्ष में न्यायालय में खड़े होने पर भी उन्होंने विरोध की।