61 सौ करोड़ खर्च करने के बाद बीच में क्यों रोक दिया गया खरकई डैम प्रोजेक्ट…
झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के सरायकेला जिले में खरकई डैम प्रोजेक्ट में 6,100 करोड़ खर्च करने के बाद इसे बंद करने पर राज्य के मुख्य सचिव से उत्तर मांगा है. मंगलवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने पूछा कि इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद प्रोजेक्ट को बीच में क्यों रोक दिया गया?
सरकार ने इस प्रोजेक्ट के बारे में आखिरी तौर पर क्या निर्णय किया है? न्यायालय ने उन्हें इन प्रश्नों पर शपथ पत्र दाखिल करने को बोला है. सुनवाई के दौरान जल संसाधन विभाग की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया है कि जमीन अधिग्रहण का काम क्षेत्रीय ग्रामीणों के विरोध के कारण रुका हुआ है.
इस पर न्यायालय ने गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि आखिर प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने के पहले गवर्नमेंट ने इस मामले पर विचार क्यों नहीं किया? रिपोर्ट यदि जमीन पर जाकर तैयार की गई होती तो जमीन अधिग्रहण पर ग्रामीणों के संभावित विरोध के बारे में इसका जिक्र होना चाहिए था.
कोर्ट ने मौखिक तौर पर बोला कि पूरे मुद्दे की CBI जांच करवा देते हैं. इस मुद्दे की अगली सुनवाई 14 मई को निर्धारित की गई है. इस मुद्दे में संतोष कुमार सोनी की ओर से जनहित याचिका दाखिल की गई है.
इसमें बोला गया है कि खरकई डैम परियोजना एकीकृत बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल गवर्नमेंट के बीच त्रिपक्षीय समझौते के बाद 1978 में प्रारम्भ हुई थी, लेकिन, 2020 में राज्य गवर्नमेंट ने बगैर कारण बताए एक पत्र जारी कर इस प्रोजेक्ट को अचानक बंद कर दिया.
याचिका के अनुसार प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण का काम हो चुका है. विस्थापितों के पुनर्वास के लिए नयी जगहों को चिन्हित भी किया जा चुका है. बड़ी राशि खर्च करने के बाद परियोजना को बंद नहीं किया जाना चाहिए.