बिरसा मुंडा स्टेडियम खूंटी से राष्ट्रपति ने किया संबोधित


बिरसा मुंडा स्टेडियम में लगाए गए स्टॉल देखती राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

बिरसा मुंडा स्टेडियम में लगाए गए स्टॉल देखती राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

बिरसा मुंडा स्टेडियम में लगाए गए स्टॉल देखती राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

बिरसा मुंडा स्टेडियम में लगाए गए स्टॉल देखती राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
झारखंड के तीन दिवसीय दौरे के दूसरे दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू खूंटी पहुंची. बिरसा मुंडा स्टेडियम परिसर में आयोजित स्त्री स्वयं सहायता समूह सम्मेलन में शिरकत की. जहां उन्होंने संबोधित करते हुए बोला कि सेल्फ हेल्फ ग्रुप के माध्यम से आदिवासी-जनजातिय महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. उनकी सामाजिक-आर्थिक तरक्की हो रही है. उनके जीवन में सुधार हुआ है. ये चीजें देख मुझे खुशी होती है. उन्होंने मौके पर मौजूद सेल्फ हेल्फ ग्रुप की दीदीयों से बोला कि आपको आगे बढ़ते देख खुशी होती है. आपके जो कदम आगे बढ़ाया है उसे अब पीछे नहीं हटाना है.
राज्य की जितनी तरक्की होनी चाहिए थी, नहीं हुआ
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में बोला कि झारखंड राज्य को अलग हुए 22 वर्ष हो गए. अधिकतर मुख्यमंत्री आदिवासी हुए. 28 से अधिक एमएलए आदिवासी हैं. फिर भी झारखंड को जितनी तरक्की करनी चाहिए थी, उतना नहीं हो सका. इसके बारे सोचने की आवश्यकता है. उन्होंने बोला कि इस राज्य ने मुझे काफी सम्मान दिया है. मैं ओडिशा से जरूर हूं लेकिन मेरी रगों में झारखंड का खून बहता है. उन्होंने बताया कि मंत्री जोबा मांझी जिस घर की बहू बन कर आयी हैं, मेरी दादी उसी घर से थी.
सरकार सौ कदम बढ़ाएगी तो आपको भी दस कदम बढ़ाना होगा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बोला कि आदिवासियों के उत्थान के लिए कई योजनाएं गवर्नमेंट चला रही हैं. लेकिन आपको भी आगे आना होगा. गवर्नमेंट 100 कदम चल रही है तो आपको भी 10 कदम बढ़ाना होगा. गवर्नमेंट ही सबकुछ कर दे, ऐसा नहीं होता है. उन्होंने अपनी कहानी बताने के दौरान बोला कि बचपन में हम वनोपज जमा करते थे. तब उसकी मूल्य पता नहीं चलती थी. आज वही वनोपज को बाजार मिल रहा है. यह देख कर अच्छा लगता है. बिरसा मुंडा की धरती को नमन करते हुए बोला कि इतने कम उम्र में उनका राष्ट्र को अमूल्य सहयोग है. हमे उन्होंने कई चीजें दे रखी हैं, जिसका अनुसरण करना है.
तरक्की करें पर अपनी संस्कृति को न छोड़े
उन्होंने बोला कि आदिवासी संस्कृति काफी उन्नत है. हम न दहेज देते हैं और न लेते हैं. दूसरे समाज भी इससे सीख रहे हैं. लेकिन हमें अपनी संस्कृति को बचना होगा. कई बार मैंने देखा है कि आदिवासी समुदाय के लोग तरक्की करते हैं तो वे अपनी भाषा-संस्कृति को भूल जाते हैं. ऐसा नहीं करना होगा. उन्होंने बोला हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए. संस्कृति को बचाए रखना होगा. उसके साथ ही आगे बढ़ना होगा. बच्चों को संस्कृति सीखाना भी महत्वपूर्ण है. समाज से जब आप आगे बढ़ते हैं तो समाज के प्रति भी आपकी रेस्पांसबिलिटी है की उसे भी कुछ दें.

सेल्फ हेल्फ ग्रुप ने स्त्रियों को मजबूत किया
सेल्फ हेल्फ ग्रुप ने स्त्रियों को मजबूत किया
कार्यक्रम में गवर्नर सीपी राधाकृष्णन ने बोला कि गवर्नर बनने के बाद मुझे भी बिरसा की धरती आने का मौका मिला था. मैं उलिहातू आया. उनके परिजनों से मिला. सबसे पहले मैं बिरसा की धरती को नमन करता हूं. उन्होंने बोला कि बिरसा मुंडा ने जनजातिय संस्कृति की रक्षा की है. लोगों ने उन्हें भगवान माना. उन्होंने हिंदुस्तान में आने वाली पीढ़ी को नई दिशा प्रदान की है. भगवान बिरसा मुंडा दूरदर्शी स्वतंत्रता सेनानी थे. उनका किया काम समाज के लिए प्रेरणा साधन बना रहेगा.
सेल्फ हेल्फ ग्रुप की स्त्रियों को संबोधित करते हुए बोला कि राज्य में बड़ी संख्या में सेल्फ हेल्फ ग्रुप काम कर रहा है. बड़ी संख्या में महिलाएं भी इससे जुड़ी हुई हैं. इस एसएचजी ने स्त्रियों को मजबूत बनाया है. समाज में उनकी अब अलग पहचान है. उन्होंने बोला कि यहां की महिलाएं काफी परिश्रमी हैं. मैंने अपने दो महीने के राज्य प्रवास के दौरान पाया कि ये महिलाएं कृषि और बागवानी में मर्दों के बराबर काम कर रही हैं. लघू उद्योगों में भी इनकी सक्रियता है.
पीवीटीजी की योजनाओं पर विशेष ध्यान की जरूरत
अनुसूचित जनजातियों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित हैं. इन योजनाओं के कारगर क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान देना महत्वपूर्ण है. कल राष्ट्रपति महोदया ने राज भवन में पीवीटीजी के लोगों से संवाद स्थापित कर एक ऐतिहासिक और गौरतलब पहल की. वे जनजातियों के विकास की दिशा में लगातार कोशिश कर रही हैं.

आदिवासियों के अस्तित्व को बचाने के लिए मांगों पर दें ध्यान
आदिवासियों के अस्तित्व को बचाने के लिए मांगों पर दें ध्यान
सीएम हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में राष्ट्रपति के समक्ष मांग रखते हुए बोला कि राज्य में आदिवासियों के अस्तित्व बचाने के लिए उनकी मांगों को पूरा करने की आवश्यकता है. मंच से उन्होंने सरना धर्म कोड लागू करने और हो, मुंडारी, कुडूख को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग की. वहीं अपने संबोधन में बोला कि आदिवासियों के उत्थान के लिए काम तो हो रहे हैं पर जितनी रफ्तार होनी चाहिए वह नहीं है. आदिवासी आज भी संघर्ष कर रहे हैं. जल, जंगल औ जमीन की पहचान के लिए लड़ते हैं. यहां की खनीज संपदा से पूरे राष्ट्र रोशन हो रहा है. आदिवासी विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं. वनों में रहते हैं लेकिन उन्हें दो समय की रोटी के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है.
स्टॉल लगा कर तरक्की दिखा देते हैं
उन्होंने बोला कि आप हम सभी जब किसी कार्यक्रम में मेहमान बन कर जाते हैं तब अधिकारी स्टॉल लगा कर बस तरक्की दिखा देते हैं लेकिन वस्तुस्थिति कुछ और होती है. अधिकारी झांकी दिखाते हैं लेकिन हम इस झांकी के पीछे देखने की प्रयास करते हैं. हमारे राज्य के अर्जुन मुंडा के आने बाद ट्राइफेड में सुधार दिखा है. जब तक यह मंत्री रहेंगे तो तब तक झारखंड को फायदा मिलेगा. राज्य में 225 एसएचजी काम कर रहे हैं. राज्य में 14 हजार से अधिक गांव वनोपज से सीधा जुड़ा हुआ है. लेकिन इन वनोपाज की ठीक मूल्य नहीं मिलती है. बिचौलिया हावी है.
कागजों पर काम कर रहे लैम्पस-पैक्स
सीएम हेमंत सोरेन ने बोला कि आज खूंटी में आदिवासियों के कल्याण की बात करने वाले विभाग के मंत्री से लेकर अधिकारी तक उपस्थित हैं. राज्य और केंद्र दोनों आदिवासियों की तरक्की के लिए काम कर रहे हैं, फिर भी उनकी स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है. राज्य में लैम्पस है. पैक्स है. इसके बाद भी आदिवासियों की तरक्की की रफ्तार धीमी है. वजह है कि ये सभी कागजों में एक्टिव रूप से काम कर रही हैं. धरातल पर काम करने से आदिवासियों की स्थिति में सुधार होगा.
स्टॉल का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया भ्रमण
कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वयं सहायता समूह की दीदियों की ओर से लगाए गए स्टॉल्स का भ्रमण किया और उनके साथ सीधा संवाद किया. सम्मेलन में गवर्नर सी।पी। राधाकृष्णन, सीएम हेमंत सोरेन, जनजातीय कार्य मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा,जनजातीय कार्य मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरूता, मंत्री श्रीमती जोबा मांझी, विधायक कोचे मुंडा, विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, विधायक विकास सिंह मुंडा एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कड़िया मुंडा समेत कई गणमान्य मौजूद रहे.