चीन से क्यों दबता है श्रीलंका…
China Ship in Sri Lanka: भारत के पड़ोसी राष्ट्र श्रीलंका ने हिंदुस्तान के विरोध के बावजूद चीन के रिसर्च करने वाले जहाज ‘शी यान 6’ को कोलंबो पोर्ट पर रुकने की परमिशन दे दी है। चीन हिंद महासागर में जासूसी करने के लिए कुख्यात है। वह अपने रिसर्च शिप के बहाने हिंद महासागर में जासूसी के काम करके अपने कुत्सित इरादे जाहिर करता है। इस कारण जब यह चीनी रिसर्च शिप श्रीलंका के कोलंबो पोर्ट पर पहुंचा तो हिंदुस्तान ने आपत्ति जताया और श्रीलंका को विरोध दर्ज कराया। इसके बाद भी श्रीलंका ने कोलंबो पोर्ट पर चीनी जासूसी जहाज को रुकने की इजाजत दी। श्रीलंका से परमिशन मिलने के बाद यह चीनी जहाज अब अगले 3 महीने तक हिंद महासागर में रिसर्च के नाम पर जासूसी गतिविधियां संचालित करेगा। भारतीय नैवी और तटरक्षक बल को इसकी ‘हरकतों’ पर नजर रखना होगा।
जासूसी जहाज को लेकर चीन देता है यह दलील
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने चीन के जहाज को रुकने की अनुमति दी है। विशेषज्ञों का बोलना है कि चीनी जहाज दोहरी किरदार निभाता है। पहली किरदार वैज्ञानिक अध्ययन है, वहीं भूराजनीतिक उद्देश्यों से दूसरे राष्ट्रों को दबाने की प्रयास करता है और उनकी जासूसी करता है। चीन यह दलील देता है कि शी यान 6 अध्ययन जहाज समुद्री सिल्क रोड के राष्ट्रों के साथ वैज्ञानिक अध्ययन योगदान और आदान-प्रदान को मजबूत करेगा। साथ ही बीआरआई के अनुसार विज्ञान और शिक्षा का एकीकरण करेगा।
चीन से क्यों दबता है श्रीलंका?
भारत के कड़े विरोध को दरकिनार करने के पीछे श्रीलंका की विवशता क्या है, यह जानना महत्वपूर्ण है। दरअसल, श्रीलंका चीन के ऋण के बोझ से दबा हुआ है। उसने चीन से भारी भरकम ऋण ले रखा है। श्रीलंका में पिछले वर्ष कंगाली की नौबत आ गई थी। जैसे तैसे इस राष्ट्र की इकोनॉमी चल रही है। ऐसे में वह चीन से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहता। क्योंकि उसे भारी ऋण चीन को चुकाना है। श्रीलंका पर शासन करने वाले राजपक्षे परिवार ने बड़े पैमाने पर पैसा चीन से ले रखा है। वर्तमान गवर्नमेंट में उनका पर्दे के पीछे से पूरा नियंत्रण है।
पहले भी चीनी जहाजों को श्रीलंका में मिली है पनाह
यही कारण है कि चीन का जहाज शी यान 6 पहला नहीं है, जो श्रीलंका आया है। एक वर्ष पहले यूआन वांग 5 श्रीलंका पहुंचा था और उसने हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डाला था। हिंदुस्तान ने इस महाशक्तिशाली जासूसी जहाज के श्रीलंका आने का कड़ा विरोध किया था। चीनी जहाज का अमेरिका ने भी विरोध किया था और श्रीलंका को नसीहत दी थी लेकिन इसका भी कोलंबो पर कोई असर नहीं हुआ।