चीन को बदनाम करने के लिए पश्चिमी देश ताइवान
पेत्रुशेव ने इल्जाम लगाया कि ‘‘चीन को बदनाम करने के लिए पश्चिमी राष्ट्र ताइवान, पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र और हांगकांग से संबंधित मुद्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं।’’
सुरक्षा वार्ता के लिए मॉस्को पहुंचे चीन के एक वरिष्ठ राजनयिक की मेजबानी कर रहे रूस ने दोनों राष्ट्रों को नियंत्रित करने के पश्चिमी राष्ट्रों के कथित प्रयासों का मुकाबला करने के वास्ते नीतिगत मामलों में रूस और चीन के बीच घनिष्ठ समन्वय का आह्वान किया है।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अध्यक्षता वाले रूस के सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मंगलवार को बोला कि मॉस्को ‘‘रूस और चीन के बीच उपस्थित व्यापक साझेदारी एवं रणनीतिक योगदान में और प्रगति एवं मजबूती चाहता है।’’
पेत्रुशेव ने कहा, ‘‘पश्चिमी राष्ट्रों द्वारा रूस और चीन को नियंत्रित करने के उद्देश्य से सामूहिक रूप से चलाए जा रहे अभियान के बीच अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में रूस-चीन समन्वय एवं संवाद को और मजबूत करना विशेष रूप से जरूरी है।’’
उन्होंने कहा कि पुतिन अगले महीने चीन की ‘‘बेल्ट एंड रोड’’ बुनियादी ढांचा पहल के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए बीजिंग की यात्रा करेंगे और इस दौरान उनके और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच ‘अहम’ वार्ता हो सकती है।
पेत्रुशेव लंबे समय से पुतिन के करीबी सहयोगी रहे हैं।
उन्होंने ताइवान, पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र और हांगकांग से संबंधित मुद्दों पर बीजिंग की नीति के लिए रूस के ‘‘बिना शर्त’’ समर्थन की पुष्टि की।
पेत्रुशेव ने इल्जाम लगाया कि ‘‘चीन को बदनाम करने के लिए पश्चिमी राष्ट्र ताइवान, पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र और हांगकांग से संबंधित मुद्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं।’’
चीन ताइवान को अपना क्षेत्र बताकर उस पर दावा जताता है। वह द्वीप के चारों तरफ हवा और पानी में लगातार बड़े सेना अभ्यास कर रहा है। उसने राष्ट्र के उन क्षेत्रों में विरोध की किसी भी संभावना को समाप्त करने के लिए कड़े तरीका अपनाए हैं, जहां बड़ी संख्या में तिब्बती और उइगर सहित अन्य जातीय एवं धार्मिक समुदाय के लोग रहते हैं।
पश्चिमी राष्ट्रों ने चीन की सख्त नीतियों की कड़ी निंदा की है।
वहीं, क्रेमलिन ने लगातार बीजिंग के लिए समर्थन व्यक्त किया है, क्योंकि पश्चिमी राष्ट्रों से बिगड़ते संबंधों के बीच रूस और चीन तेजी से करीब आ रहे हैं।
चीन ने पिछले महीने ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के विस्तार में सहायता की थी, जिसके अनुसार छह और राष्ट्रों को पांच राष्ट्रों के इस समूह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था।