भारत के साथ विवाद उत्पन्न करने के बाद ये चीजें झेल रहे हैं ट्रूडो
भारत के विरुद्ध चाल चलने के मुद्दे में कनाडा बार-बार एक्सपोज हो रहा है। एक बार फिर उन्हीं की गवर्नमेंट के दो सीनियर ऑफिसरों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने हिंदुस्तान के बारे में ‘खुफिया जानकारी’ अमेरिकी मीडिया को लीक कर दी थी। कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन ने यह जानकारी वाशिंगटन पोस्ट को लीक की जानकारी तब दी। क्षेत्रीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार संसदीय पैनल सत्र के दौरान ड्रोइन ने खुलासा किया कि यह लीक एक “संचार रणनीति” का हिस्सा थी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक प्रमुख अमेरिकी आउटलेट को हिंदुस्तान के साथ बढ़ते राजनयिक टकराव पर कनाडा का दृष्टिकोण प्राप्त हो।
नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन द्वारा लीक की गई जानकारी में हिंदुस्तान के गृह मंत्री अमित शाह पर नयी दिल्ली से ऐसी कार्रवाइयों को निर्देशित करने का इल्जाम लगाया गया है। कॉमन्स पब्लिक सेफ्टी कमेटी के सामने गवाही देते हुए, ड्रोइन ने बोला कि उन्हें जानकारी लीक करने के लिए ट्रूडो की स्वीकृति की जरूरत नहीं थी। उन्होंने यह भी साफ किया कि वाशिंगटन पोस्ट के साथ कोई वर्गीकृत खुफिया जानकारी साझा नहीं की गई थी। इसका उद्देश्य कनाडा के लोगों के विरुद्ध भारतीय एजेंटों द्वारा कथित गैरकानूनी गतिविधियों के बारे में कनाडा की चिंताओं को साझा करना था, जिसमें कनाडाई लोगों के जीवन को खतरा भी शामिल है।
इस रणनीति में खालिस्तानी समर्थक सुखदूल सिंह गिल की मर्डर से भारतीय ऑफिसरों को जोड़ने के इल्जाम शामिल थे, जिसे पिछले वर्ष गोली मार दी गई थी, जब जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय ऑफिसरों पर निज्जर की मर्डर में शामिल होने का इल्जाम लगाया था, लेकिन अपने दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया था
14 अक्टूबर को हिंदुस्तान द्वारा छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करने के बाद दोनों राष्ट्रों के बीच तनाव बढ़ गया, जब ओटावा ने निज्जर मर्डर की जांच में हिंदुस्तान के उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों का इल्जाम लगाया। उसी दिन RCMP के शीर्ष ऑफिसरों ने सार्वजनिक रूप से हिंदुस्तान के विरुद्ध गंभीर इल्जाम लगाए। हिंदुस्तान की तरफ से लंबे समय से यह दावा किया जा रहा है कि ट्रूडो गवर्नमेंट ने कनाडा में भारतीय राजनयिकों और सामुदायिक नेताओं को परेशान करने, धमकाने और डराने के लिए हिंसक चरमपंथियों और आतंकियों को “जानबूझकर” स्थान दी है।
13 अक्टूबर को अपने राजनयिकों को अपने फैसला की घोषणा करते हुए हिंदुस्तान ने इस बात पर बल दिया था कि उग्रवाद और अत्याचार के माहौल में उसे वर्तमान कनाडाई गवर्नमेंट की उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है। 13 अक्टूबर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कथित तौर पर सिंगापुर में अपने कनाडाई समकक्ष से मुलाकात की, जहां कनाडाई ऑफिसरों ने कनाडा में सिख अलगाववादियों पर हमले करने के लिए बिश्नोई रैकेट के साथ हिंदुस्तान की संलिप्तता के सबूत पेश किए।
क्या बोले आरसीएमपी?
संसदीय पैनल ने कनाडाई जनता के बजाय वाशिंगटन पोस्ट के साथ संवेदनशील जानकारी साझा करने के ड्रोइन और मॉरिसन के फैसला पर प्रश्न उठाया। रूढ़िवादी सार्वजनिक सुरक्षा आलोचक राकेल डैंचो ने इस कदम की निंदा करते हुए बोला कि यह “कनाडाई जनता के साथ अन्याय है,” और बोला कि कनाडाई लोगों को सूचित किए जाने से पहले अमेरिकी मीडिया को विवरण दिया गया था। आरसीएमपी आयुक्त माइक डुहेम ने ड्रोइन के रुख का समर्थन करते हुए पुष्टि की कि लीक की गई जानकारी अवर्गीकृत थी और चल रही जांच से समझौता करने से बचने के लिए इसे जनता से छिपाया गया था।