मोदी को डराया-धमकाया नहीं जा सकता, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने की तारीफ
इंडियन आर्मी में ब्रिटिश दौर से ही जांबाजी का पर्याय रहे गोरखा अब रूस के लिए भी खून बहा रहे हैं। यूक्रेन से बीते करीब 21 महीनों से जारी जंग में बड़ी संख्या में गोरखा भी शामिल हैं और इनमें से 6 लोग तो मारे भी जा चुके हैं। अब प्रश्न यह है कि आखिर रूस से 4000 किलोमीटर दूर बसे एक हिमालयी राष्ट्र के लोग यूक्रेन से जंग में क्यों जा रहे हैं? इसका उत्तर व्लादिमीर पुतिन गवर्नमेंट का वह ऑफर है, जिसमें उन्होंने बोला है कि यदि कोई विदेशी भी रूस की सेना में शामिल होना चाहता है तो स्वागत है। पुतिन गवर्नमेंट का ऑफर है कि एक वर्ष तक रूसी सेना में सहयोग देने वालों को राष्ट्र की नागरिकता दी जाएगी।
इसके चलते अब तक करीब 200 नेपाली रूस पहुंचे हैं और यूक्रेन के विरुद्ध जंग के मैदान में उतरे हैं। इनमें से 6 लोग युद्ध के दौरान मारे भी जा चुके हैं। रूस की सेना में शामिल हुए ऐसे ही एक गोरखा बिबेक खत्री ने बोला कि वह पैसों की तंगी के चलते रूसी सेना में आए हैं। यूक्रेन के गृह मंत्रालय के सलाहकार एंटॉन गेराश्चेंको ने एक वीडियो पोस्ट किया है। इसमें वह कहते हैं, ‘मेरा परिवार संकट में घिरा है। मेरी मां काम नहीं करती है और मुझे पैसों की आवश्यकता है। इसलिए मैं यहां आ गया।’
मोदी को डराया-धमकाया नहीं जा सकता, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने की तारीफ
खत्री ने बोला कि मेरे कुछ दोस्तों ने राय दी थी कि आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए मैं रूस की सेना जॉइन कर लूं। मैं अपनी मां के पास एक सफल आदमी के तौर पर लौटना चाहता हूं। इसलिए रूस की सेना ही जॉइन कर ली। बिबेक खत्री के अतिरिक्त कई गोरखा हैं, जो मॉस्को के लुभावने ऑफर के चलते जंग के मैदान में उतरे हैं। रूस में राजदूत मिलन राज तुलाधार ने भी माना है कि रूस की सेना में गोरखा हैं। गोरखाओं के लिए हालांकि यह रिस्क वाला काम है, लेकिन बहादुरी का इतिहास रखने वाले नेपालियों का सेना जॉइन करना आश्चर्य की बात नहीं है।
अमेरिका, फ्रांस की सेनाओं में भी गोरखा
भारत की सेना में तो गोरखा रेजिमेंट की बहादुरी की कहानियां चर्चित रही हैं और कई बड़ी जंगों में उनका अहम सहयोग रहा है। यही नहीं कुछ रिपोर्ट्स में तो दावा किया गया है कि कुछ नेपाली यूक्रेन की तरफ से भी जंग के मैदान में उतरे हैं। गोरखा सैनिक फ्रांस और अमेरिका में भी रहे हैं। यही नहीं बीते 5 वर्षों में करीब 1000 गोरखा सैनिकों को अमेरिका की नागरिकता मिल चुकी है। इन सभी ने अमेरिकी सेना जॉइन की थी। इसके अतिरिक्त 300 गोरखा फ्रांस की सेना में शामिल हैं।
युवा जनसंख्या भरपूर, पर बेरोजगारी से परेशान है नेपाल
नेपाल के लोगों का बोलना है कि राष्ट्र में भयंकर बेरोजगारी के चलते युवा एक बार फिर दूसरे राष्ट्रों की सेना तक में जा रहे हैं। राष्ट्र में करीब 64 प्रतिशत जनसंख्या 30 से भी कम उम्र की है। इसके अतिरिक्त 15 से 29 वर्ष तक की उम्र के युवाओं में से 20 प्रतिशत बेरोजगार हैं। नेपाली सेना के एक अधिकारी ने बोला कि हर वर्ष 5 लाख युवा तैयार होते हैं और उनमें से अधिक से अधिक 1 लाख को ही नेपाल में जॉब मिलती है। फिर बाकी लोग कहीं न कहीं तो अपनी राह तलाशेंगे ही। इंडियन आर्मी भी गोरखा युवाओं के लिए रोजगार का एक अवसर रही है। हालांकि बोला जा रहा है कि अग्निपथ स्कीम लागू होने से गोरखाओं की दिलचस्पी इंडियन आर्मी में कम हुई है।