अंतर्राष्ट्रीय

युद्ध के दौरान आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने खुलेआम इजराइल को दी धमकी

हमास के आतंकवादी हमलों के विरुद्ध इजराइल जवाबी कार्रवाई कर रहा है लेकिन युद्ध के दौरान आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह ने खुलेआम इजराइल को धमकी दी है कि वह इस तरह से धावा करेगा कि इजराइल उत्तर नहीं दे पाएगा इसके साथ ही हिजबुल्लाह ने अमेरिका को इस युद्ध को आगे न बढ़ाने की चेतावनी भी दी है

हिजबुल्लाह इजराइल को अपना मुख्य शत्रु मानता है हिजबुल्लाह ने एक बयान में बोला कि उसने तीन इजरायली ठिकानों पर रॉकेट और गोले दागे हालांकि, अमेरिका हिजबुल्लाह की इस धमकी के प्रति उदासीन है पेंटागन ने पहले ही हिजबुल्लाह को इस युद्ध से दूर रहने की चेतावनी दी थी अमेरिका ने बोला है कि हिजबुल्लाह को हमास का समर्थन करने से पहले अच्छी तरह सोच लेना चाहिए

हिजबुल्लाह की ताकत क्या है?

हिजबुल्लाह लेबनानी शिया मुसलमानों का एक सियासी और आतंकी संगठन है इसके ईरान और सीरिया में असद शासन से घनिष्ठ संबंध हैं इसकी स्थापना 1982 के गृह युद्ध के दौरान लेबनानी मौलवियों द्वारा की गई थी वाशिंगटन डीसी स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) ने बोला है कि यह दुनिया का सबसे भारी हथियारों से लैस आतंकी संगठन है इसके पास बैलिस्टिक, एंटी-एयर और एंटी-एयर रॉकेट का बड़ा भंडार है

हसन नसरल्लाह कमान संभाल रहे हैं

करीब दस वर्ष बाद यानी 1992 से हिजबुल्लाह की कमान हसन नसरल्लाह के हाथों में है लेबनान की सियासी प्रबंध में इसका काफी दबदबा माना जाता है उन्हें राष्ट्र की शिया जनसंख्या का समर्थन प्राप्त है अमेरिकी रिपोर्ट ने स्वयं माना है कि संगठन की अपने राष्ट्र में जबरदस्त पकड़ है

हिज़्बुल्लाह की सेना बजट चुनौतियाँ

हिज़्बुल्लाह की सशस्त्र शक्ति का अनुमान भिन्न-भिन्न है इसका सेना बजट लगभग 700 मिलियन अमेरिकी $ माना जाता है अक्टूबर 2021 में, नसरल्लाह ने दावा किया कि पार्टी में लगभग एक लाख प्रशिक्षित लड़ाके हैं, जबकि 2017 में यह संख्या 25,000 थी हिजबुल्लाह को ईरान का समर्थन प्राप्त है इसके लड़ाकों को ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है

इजराइल उसका शत्रु क्यों है?

रक्षा जानकार कर्नल (सेवानिवृत्त) डीपीके पिल्लई के अनुसार, 2000 में, जब लगभग 20 सालों की खतरनाक लड़ाई के बाद इजरायली सेना दक्षिणी लेबनान से हट गई, तो हिजबुल्लाह अपनी ताकत बढ़ाने वाली पहली अरब सेना बन गई इसके बाद इजरायली सेना को लेबनान की धरती छोड़नी पड़ी

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि हिज़्बुल्लाह लड़ाकों ने पश्चिमी औपनिवेशिक शक्तियों को लेबनानी धरती से खदेड़ने के लिए हथियार उठाए थे उन्होंने इजराइल के विनाश का भी आह्वान किया 1983 में इस संगठन के लड़ाकों ने ईरान के प्रति वफादारी दिखाते हुए लेबनान की राजधानी बेरूत में अमेरिकी और फ्रांसीसी सैनिकों की बैरक पर आत्मघाती धावा किया था जिसमें 300 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई

 

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