अंतर्राष्ट्रीय

चीन ने एक बार फिर एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि की हासिल

अचीन ने एक बार फिर एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है हाल ही में चीन ने दावा किया है कि उसने पहली बार तिब्बत की बकरियों को क्लोन करने में कामयाबी पाई है और इसके लिए उसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिसे दुनिया की पहली क्लोन की गई भेड़ के लिए इस्तेमाल किया गया था इस तकनीक से चीन पहले ही बंदर की क्लोनिंग भी कर चुका है

वैज्ञानिकों ने सोमेटिक सेल क्लोनिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जिसें एक वयस्क कोशिका के केंद्रक को नयी अंडे वाली कोशिका में स्थानांतरित किया गया इसके बाद इस अंडे को एक सेरोगेट मां के गर्भ में डाला गया जिसने ऐसे बकरी के बच्चे को जन्म दिया जिसमें उसका कोई डीएनए नहीं था

चीन के सरकारी न्यूज चैनल चाइना सेंट्रल टेलिविजन से जारी एक वीडियो के अनुसार पहला बच्चा 7.4 पाउंड का था और स्वस्थ है लोकिन दूसरी बकरी के बारे में किसी तरह का कोई जिक्र नहीं किया गया वे एक बड़े नर बकरी से क्लोन किए गए थे जिन्हें प्रजनन के लिए चुना गया था चीनी वैज्ञानिक बकरियों की जनसंख्या में से खास तरह के जेनेटिक पदार्थों की संरक्षित कर रहे हैं जो कि बकरी पालने वालों के लिए एक मुश्किल काम है

इसी के जरिए पूरी की पूरी जेनेटिक जानकारी को ही क्लोनिंग कर कॉपी की जा सकती है इसका मकसद अनुवांशिकी संसाधनों की बढ़ाना और अच्छे से इस्तेमाल कर पाना है जिससे क्षेत्रीय किसानों की आय बढ़े और क्षेत्रीय पशुपालन उद्योग का विकास हो सके टीम ने ऐसे बकरों का क्लोन बनाया है जो भारी मात्रा में ऊन पैदा करते हैं

इस प्रयोग का मकसद ऐसे नर बकरे बनाना है जो सबसे अच्छा ऊन पैदा करते हैं इस उपलब्धि के बारे में अधिक जानकारी तो नहीं दी गई लेकिन हां जिस जानवर से सोमेटिक कोशिका बनाई गई उसकी जानकारी जरूर सार्वजनिक कर दी गई है इसी तकनीक ने स्कॉटलैंड में डॉली नाम की भेड़ को क्लोनिंग से बनाया गया था इस तकनीक के बारे में बताय जाता है कि लगती बहुत सरल है, पर इसे अमल में लाना बहुत कठिन है

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