अंतर्राष्ट्रीय

चंद्रयान-3 वाला कारनामा, चांद पर लैंड होते ही टूटी टांग

अमेरिका का एक अंतरिक्ष यान (स्पेसक्राफ्ट) चांद की सतह पर एक सप्ताह तक तड़पने के बाद गुरुवार को गहरी नींद में सो गया। ओडीसियस (Odysseus) नाम का ये स्पेसक्राफ्ट एक सप्ताह पहले ही लॉन्च किया गया था। यह एक प्राइवेट अमेरिकी कंपनी इंटुएटिव मशीन्स का स्पेसक्राफ्ट है। हालांकि चंद्रमा पर लैंड होते ही इसका एक पैर टूट गया और यह तिरक्षा हो गया। इसके बाद काफी कोशिशें की गईं लेकिन इसे खड़ा नहीं किया जा सका। आखिरकार धरती पर इसके कंट्रोलर ने इसे गुरुवार को सुला दिया।

गुरुवार को ओडीसियस से आखिरी इमेज प्राप्त करने के बाद इसको कंट्रोल करने वाले वैज्ञानिकों ने इसके कंप्यूटर और पावर सिस्टम को स्टैंडबाय मोड में डाल दिया। यह एहतियाती कदम इसलिए उठाया गया है ताकि इस लैंडर को दो से तीन सप्ताह बाद फिर से जगाया जा सके। इंटुएटिव मशीन्स के प्रवक्ता जोश मार्शल के अनुसार, आखिरी समय में उठाए गए कुछ कदमों के चलते लैंडर की बैटरियां तेजी से खत्म होने लगी थीं। इसलिए इसके डेड होने से पहले उसे लंबे समय तक गहरी नींद में सुला दिया गया है। कंपनी ने एक्स पर लिखा, “गुड नाइट, ओडी। हमें उम्मीद है कि हम आपसे फिर मिलेंगे।”

ओडीसियस को एक सप्ताह के मिशन के लिए चंद्रमा पर भेजा गया था। इसने उम्मीदों के मुताबिक अच्छा प्रदर्शन किया। इंटुएटिव मशीन्स ने 22 फरवरी को ओडीसियस के लैंडर को सफलतापूर्वक चांद पर उतारा था। यह चंद्रमा पर उतरने वाली अमेरिका की पहली निजी कंपनी बन गई। इस उपलब्धि ने उन्हें जापान सहित उन कुछ देशों में शामिल कर दिया, जिन्होंने 1960 के दशक के बाद से ऐसी लैंडिंग पूरी की है। 11 घंटे की गड़बड़ी के बावजूद यह छह पैरों वाला स्पेसक्राफ्ट पिछले गुरुवार को सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर पहुंचा था। लेकिन इसकी लैंडिंग थोड़ी अजीब हुई। भारत के चंद्रयान-3 की तरह इसकी लैंडिंग एकदम सीधी नहीं हुई। यह झुका हुआ चांद पर उतरा जिससे यह किसी ऑपरेशन को अंजाम देने में कामयाब नहीं हो पाया।

स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग से लैंडर ओडीसियस के सोलर पैनल और कम्युनिकेशन सिस्टम में दिक्कतें आ गईं। हालांकि चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, इंटुएटिव मशीन्स के लैंडर, ओडीसियस ने कंपनी की शुरुआती उम्मीदों को पार कर लिया। ओडीसियस नासा के कॉमर्शियल लूनर डिलीवरी प्रोग्राम में एक महत्वपूर्ण कदम है। दरअसल निजी कंपनियों के पिछले प्रयास सफल नहीं हुए थे। जनवरी में एक लैंडर दुर्घटनाग्रस्त होकर पृथ्वी पर वापस आ गया था।

साल 1972 के बाद पहली बार राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) का यान फरवरी 2024 में चांद पर उतरा। लेकिन एजेंसी ने यह काम अकेले नहीं किया बल्कि उसने कॉमर्शियल कंपनियों के साथ साझेदारी की। नई टेक्नोलॉजी और पब्लिक-प्राइवेट भागीदारी के चलते, इस यान से चंद्रमा पर लाई गई वैज्ञानिक परियोजनाएं और इसके जैसे भविष्य के मिशन वैज्ञानिक संभावनाओं के नए क्षेत्र खोलेंगे।

इस साल कई परियोजनाएं शुरू होने वाली हैं। वैज्ञानिकों के दल दक्षिणी ध्रुव और चंद्रमा के सुदूर हिस्से से रेडियो खगोल विज्ञान का अध्ययन करेंगे। नासा का वाणिज्यिक चंद्र पेलोड सेवा कार्यक्रम (सीएलपीएस) 50 से अधिक वर्षों में चंद्रमा से नासा के पहले वैज्ञानिक प्रयोगों का अध्ययन करने के लिए मानवरहित लैंडर का इस्तेमाल करेगा। नासा के लैंडर बनाने और कार्यक्रम संचालित करने के बजाय, वाणिज्यिक कंपनियां सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत ऐसा करेंगी। नासा अब एक ग्राहक बन गया है, अब वह इकलौता संचालक नहीं रहा।

‘एस्ट्रोबोटिक्स’ पेलोड को पेरेग्रीन नामक लैंडर से पहले आठ जनवरी को प्रक्षेपित किया गया था लेकिन इसे ईंधन की समस्या का सामना करना पड़ा और इसे चांद की अपनी यात्रा को रोकना पड़ा।  इसके बाद, ‘इंट्यूटिव मशीन्स’ पेलोड है। ‘इंट्यूटिव मशीन्स’  लैंडर का नाम ओडीसियस है। यह 22 फरवरी 2024 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा।  ‘आरओएलएसईएस’ उपकरण फरवरी में इंट्यूटिवमशीन्स लैंडर पर मौजूद नासा के छह पेलोड में से एक के रूप में चंद्रमा पर उतरा था।

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